भारतीय कृषि की चुनौती par aalekh Challanges of Indian Farmers an Article


भारतीय  कृषि  की  चुनौती
ऐसे  समय  में  जब  खाद्य  पदार्थों  की  कीमतें  आसमान  छू  रही  हैं  और  दुनिया  में  भुखमरी  अपने  पैर  पसार  रही  है,  जलवायु  परिवर्तन  से  संबंधित  विशेषज्ञ  आगाह  कर  रहे  हैं  कि  आने  वाले  वक्त  में  हमें  और  भी  भयावह  स्थिति  का  सामना  करना  पड़ेगा।  दिनों-दिन  बढ़ते  वैश्विक  तापमान  की  वजह  से  भारत  की  कृषि  क्षमता  में  लगातार  गिरावट  आती  जा  रही  है।  एक  अनुमान  के  मुताबिक  इस  क्षमता  में  40  फीसदी  तक  की  कमी  हो  सकती  है।  (ग्लोबल  वार्मिग  एंड  एग्रीकल्चर,  विलियम  क्लाइन)।  कृषि  के  लिए  पानी  और  ऊर्जा  या  बिजली  दोनों  ही  बहुत  अहम  तत्त्व हैं,  लेकिन  बढ़ते  तापमान  की  वजह  से  दोनों  की  उपलब्धता  मुश्किल  होती  जा  रही  है।  तापमान  बढ़ने  के  साथ  ही  देश  के  एक  बड़े  हिस्से  में  सूखे  और  जल  संकट  की  समस्या  भी  बद  से  बदतर  होती  जा  रही  है।  एक  तरफ  वैश्विक  तापमान  से  निपटने  के  लिए  जीवाश्म  ईंधन  के  इस्तेमाल  पर  ब्रेक  लगाने  की  ज़रूरत  महसूस  की  जा  रही  है।  वहीं  दूसरी  ओर  कृषि  कार्य  के  लिए  पानी  की  आपूर्ति  के  वास्ते  बिजली  की  आवश्यकता  भी  दिन-प्रतिदिन  बढ़ती  जा  रही  है।  खाद्य  सुरक्षा,  पानी  और  बिजली  के  बीच  यह  संबंध  जलवायु  परिवर्तन  की  वजह  से  कहीं  ज्यादा  उभरकर  सामने  आया  है।  एक  अनुमान  के  मुताबिक  अगले  दशक  में  भारतीय  कृषि  की  बिजली  की  जरूरत  बढ़कर  दोगुनी  हो  जाने  की  संभावना  है।  यदि  निकट  भविष्य  में  भारत  को  कार्बन  उत्सर्जन  में  कटौती  के  समझौते  को  स्वीकारने  के  लिए  बाध्य  होना  पड़ता  है  तो  सबसे  बड़ा  सवाल  यही  उठेगा  कि  फिर  आखिर  भारतीय  कृषि  की  यह  माँग  कैसे  पूरी  की  जा  सकेगी।  इसका  जवाब  कृषि  में  पानी  और  बिजली  के  इस्तेमाल  को  युक्तिसंगत  बनाने  में  निहित  है।  कृषि  में  बिजली  का  बढ़ता  इस्तेमाल  इस  तथ्य  से  साफ़  है  कि  अब  किसान  पाँच  हार्सपॉवर  के  पंपों  के  बजाय  15  से  20  हार्सपॉवर  के  सबमसिबल  पंपों  का  इस्तेमाल  करने  लगे  हैं।  पाँच  हार्सपॉवर  के  पंप  1970  के  दशक  में  काफी  प्रचलन  में  थे।  इससे  राज्य  सरकारें  अत्यधिक  दबाव  में  हैं,  क्योंकि  कृषि  क्षेत्र  की  बिजली  संबंधी  जरूरतों  की  पूर्ति  उसे  ही  करनी  होगी।  जमीन  के  भीतर  से  पानी  खींचने  के  लिए  बिजली  की  अधिक  जरूरत  पड़ती  है।  पंजाब  में  बिजली  की  जितनी  खपत  होती  है,  उसका  एक  तिहाई  हिस्सा  अकेले  पानी  को  पंप  करने  में  ही  खर्च  हो  जाता  है।

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