Kushi Ke Saath Josh By Avinash Ranjan Gupta



खुशी के साथ जोश आना चाहिए  
खुशी के साथ जोश आना चाहिए,
मंज़िले और भी हैं इसका होश आना चाहिए,
छोटी-छोटी खुशियों पर मदहोश होने वालों,
अगर हारो तो खुद पर आक्रोश आना चाहिए।    
तुम गिनाते हो मुझे धनिकों की संख्या,
उन धनिकों में दोष होना चाहिए।
सफलता कभी अकेली नहीं आती,
उसमें चरित्र का भी समावेश होना चाहिए।
टुकड़ों में चुनने वाले बहुत हैं, जीत के सपने,
अरे! सफलताओं का तो विशाल कोष होना चाहिए,
हवा में उड़ जाए, कुछ दिन में मिट जाए, सफलता वो नहीं,
सफलता तो विवेकानंद की तरह ठोस होना चाहिए।
भूलोक की प्रशंसा ही काफी नहीं, तू जान ले,
सबको तुझमें भी एक सरफरोश दिखना चाहिए,
तेरी सफलता सिर्फ तेरी ही हैं, 
उसका पूरे ब्रह्मांड में उद्घोष होना चाहिए।
                                                        अविनाश रंजन गुप्ता

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