Atal Bihari Vajpeyee Par Ek Lekh By Avinash Ranjan Gupta
अटल बिहारी वाजपेयी
16
अगस्त 2018 को भारत के राजनीतिक दुनिया में
मातम छा गया था। एक ऐसा मातम जो टीस की तरह हमेशा सभी भारतवासियों को आजीवन आघात
पहुँचाता रहेगा। परम श्रद्धेय, पर पूजनीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी का बैकुंठ गमन एक राजनीतिक युग के
अंत जैसा है। इन्होंने अपना सर्वस्व राष्ट्र के लिए समर्पित कर दिया था। ऐसे
युगपुरुष को पाकर धरा भी अपने को धन्य मानती है। भारत के तीन बार प्रधानमंत्री रहे
श्री अटल बिहारी जी की पहली सरकार सिर्फ 13 दिनों तक चली और दूसरी सरकार केवल 11
महीनों तक। जब निष्पक्ष रूप से इस राजनीतिक मुद्दे पर शोध किया गया तो पाया गया कि इन्होंने राष्ट्रहित में कोई भी मिलावट
स्वीकार नहीं की थी जिसके कारण इन्हें समर्थन नहीं मिल पाया। मगर जिसके इरादे आसमान
से ऊँचे हों और हौसले बुलंद उनके सामने समस्याएँ बौनी नज़र आती ही हैं और यही हुआ
1999 के लोक सभा चुनाव के नतीजों में जिसमें जीत का सेहरा अटल जी सिर पर था। इन्होंने सरकार बनाई। सत्ता में आते ही इन्होंने
वर्षों से अटके न्यूक्लियर परीक्षण को मंजूरी दी और पूरे विश्व में भारत को सामरिक
समृद्ध और परमाणु शक्ति सम्पन्न देश घोषित कर दिया। कहते हैं आदमी के विचार ही उसे
आगे बढ़ाते हैं और यही हुआ था इनके साथ भी। इनके पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी जो
स्कूल टीचर थे बचपन से ही इनमें राष्ट्रीयता और मानवता के बीजवपन करते थे। इनके
पिता इनको यही सीख देते थे कि जीवन से
हमेशा ज्यादा की चाह रखना जब आपके पास ज़्यादा होगा तभी आप दूसरों को भी दे सकते
हैं और जो ज़्यादा की चाह दूसरों के लिए रखते हैं ईश्वर भी उनकी साँसें बढ़ा देते
हैं। ये बात पैर तोड़कर उनके हृदय में बैठ गई और आजीवन उन्होंने इस विचार का पूरी
ईमानदारी से पालन किया। इनके पिताजी वेदवाक्य के रूप में ये भी कहा करते थे कि जब
भी जीवन में कोई समस्या आए तो निराश न होना बल्कि रीढ़ सीधी करके अपने में
आत्मविश्वास का संचार करना क्योंकि सीधी रीढ़ में कोई भी व्यक्ति मायूस नहीं रहता और
देखना कि तुममें अद्भुत शक्तियों का समावेश हो जाएगा। इसी परिपाटी में गतिमान होते
हुए अपने राजनीतिक जीवन में इन्होंने कई उपलब्धियाँ हासिल कीं और भारत को विश्व पटल पर गौरवपूर्ण स्थान
दिलाया। भारतीय राजनीति पर जितनी भी फब्तियाँ कसी जाती थी वो सब इनके शासनकाल
प्रशंसा में परिवर्तित हो गई थी। बहुमुखी प्रतिभा के धनी श्री अटल बिहारी जी
ओजस्वी एवं पटु वक्ता होने के साथ-साथ सिद्ध हिन्दी कवि, लेखक
और विचारक भी थे। जब ये विदेश मंत्री थे तब संयुक्त राष्ट्र संघ में हिन्दी में
भाषण देकर इन्होंने भारत को गौरवान्वित किया था। भारतरत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी
आज हमारे बीच नहीं हैं मगर इनकी कीर्तियाँ और उपलबधियाँ सभी देशवासियों को लिए
प्रेरणा का स्रोत साबित होंगी। इनके विचारों के आदर्श राष्ट्र की परिकल्पना को
वास्तविक रूप देने का काम युवा कर्णधारों को ही पूरा करना है। पुष्पांजलि या
अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि हम इन्हें अर्पित करें या न करें मगर इनके अधूरे सपने को
पूरा करने की कवायद ही इनके लिए सच्ची श्रद्धांजलि होंगी।
Comments
Post a Comment