AAROH CLASS – XII CHAPTER -17 HAZARIPRASAD DWIVEDI – SHIRISH KE PHOOL हजारी प्रसाद द्विवेदी शिरीष के फूल महत्त्वपूर्ण तथ्य Important Facts By Avinash Ranjan Gupta


महत्त्वपूर्ण तथ्य

पाठ शिरीष के फूल के कुछ स्मरणीय बिंदु 
1.     पाठ शिरीष के फूल’ के लेखक हजारी प्रसाद द्विवेदी हैं।
2.     लेखक को शिरीष के फूलों ने आकर्षित किया क्योंकि जेठ के महीने में जब भयंकर गर्मी पड़ती है तब भी ये फूल खिले रहते हैं और वायुमंडल से अपना रस खींचते रहते हैं।  
3.     लेखक ने शिरीष के पुराने फूलों के बीज को आज के ढीठ राजनेताओं के समान कहा है क्योंकि शिरीष के नए फूल, बीज और पत्ते उगकर जबतक पुराने को धक्का नहीं मारते वे अपने स्थान से नहीं हटते। वैसे ही आज के राजनेता समय रहते संन्यास नहीं लेते जब तक कि नई पीढ़ी उन्हें धक्का मारकर बाहर नहीं कर देती।  
4.     लेखक ने गांधीजी की तुलना शिरीष के फूलों के साथ की है क्योंकि जिस प्रकार निर्धूम अग्निकुंड में भी शिरीष के फूल के केसर जैसे कोमल तंतु पर्यावरण से अपना रस खींचते रहते हैं और खिले रहते हैं वैसे ही गांधीजी भी अपने चारों ओर छाए हिंसा, खून-खराबा जैसी स्थिति के बीच स्नेही बने रहे और शिरीष के फूल की तरह लंबे समय तक टिके रहे।  
5.     शकुंतला  का एक चित्र बनाया गया था जिसमें शकुंतला  के कानों में शिरीष पुष्प को देने से उसकी सुंदरता कई गुना बढ़ गई।  
6.     ऐसे दुमदारों से तो लँडूरे भले।” अर्थात् अगर कोई पक्षी दुम होने पर बहुत सुंदर दिखता है पर दुम के न रहने पर कुरूप हो जाता है ऐसे में दुमकटा ही रहना अच्छा है जैसे- कुछ वृक्ष भले ही कुछ दिनों के लिए पुष्पित हो पर पुष्पहीन होने पर वे बड़े नीरस लगते हैं।    
7.     शिरीष के फूल और गांधीजी दोनों को कालजयी अवधूत कहा गया है क्योंकि दोनों ने समय पर विजय प्राप्त कर रखी  है।

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