AAROH CLASS – XII CHAPTER – 12 JAINENDRA KUMAR – BAAZAR DARSHAN जैनेन्द्र कुमार बाज़ार दर्शन महत्त्वपूर्ण तथ्य Important Facts By Avinash Ranjan Gupta


महत्त्वपूर्ण तथ्य

पाठ  बाज़ार दर्शन के कुछ स्मरणीय बिंदु 
1.     पाठ बाज़ार दर्शन’ के लेखक जैनेन्द्र कुमार हैं।
2.     पाठ में तीन ग्राहकों का उल्लेख है, जिनमें पहला लेखक के मित्र हैं – जो बाज़ार मामूली चीज़ लेने गए थे  पर जब लौटे तो  उनके पास बहुत सी चीजों के बंडल थे।   
लेखक के दूसरे मित्र हैं – जो दोपहर के समय बाज़ार गए थे और शाम को लौटे परंतु खाली हाथ क्योंकि बहुत कुछ खरीदने के लालच में कुछ भी नहीं खरीद पाए। 
तीसरे लेखक के पड़ोसी भगत जी- ये चूरन बेचने का काम करते हैं। ये जब भी बाज़ार जाते हैं आँखें खोलकर बाज़ार देखते हैं किन्तु वहीं रुकते हैं जहाँ से इन्हें ज़रूरत का समान खरीदना होता है।
3.     जिनका मन किसी लक्ष्य से भरा होता है उन पर बाज़ार का जादू नहीं चल पाता जैसे कि भगत जी। जिनका मन खाली होता है उन पर बाज़ार का जादू चल जाता है और वे उन सामानों को भी खरीद लेते हैं जो उनके लिए सुविधा की जगह दुविधा खड़ी कर देती है। जिनका मन बंद होता है उनपर बाज़ार का जादू  तो नहीं चलता पर यह ठीक भी नहीं है क्योंकि बंद मन का अर्थ है किसी भी इच्छा का बलपूर्वक दमन कर देना।    
4.     लेखक के अनुसार परमात्मा स्वयं में पूर्ण हैं उनमें कोई भी इच्छा शेष नहीं है इसलिए वे शून्य हैं जबकि मनुष्य में अंतिम साँस तक कोई न कोई इच्छा बनी ही रहती है इसलिए वो अपूर्ण है।     
5.     अपने आस-पास कीमती सामान, बंगला, कोठी कार देखकर या अपना बैंक-बैलेंस देखकर पैसे के पावर का रस देखा जा सकता है। ।     
6.     पैसे की व्यंग्य शक्ति का तात्पर्य है – पैसे के आधार पर अपने अभावों के कारण स्वयं को हीन समझना या पैसे की विपुलता के कारण अपने को श्रेष्ठ समझना।
7.     बाज़ार से फालतू चीजों को खरीद लाने के पीछे खाली मन के अलावा पर्चेजिंग पावर का होना भी निहित है।   
8.     लेखक के अनुसार बाज़ार का मूल उद्देश्य आवश्यकता पूर्ति हेतु क्रय-विक्रय होना है। परंतु जब लोग अपनी पर्चेजिंग पावर का प्रदर्शन करते हैं तो बाज़ार का बाज़ारूपन बढ़ जाता है।     



Comments