असम में उल्फा Aalekh Asom Me Ulfa Par Article


असम में उल्फा
पूर्वोत्तर  में  शांति  बहाली  के  लिए  केंद्र  सरकार  या  तो  अलगाववादी  संगठनों  के  साथ  बातचीत  करे  या  युद्ध  स्तरीय  कार्रवाई  करे।  सरकार  का  दोहरा  रवैया  आतंकियों  के  हौसले  बुलंद  कर  रहा  है।  भारत  के  पूर्वोत्तर  राज्यों  के  सबसे  बड़े  एवं  मज़बूत  अलगाववादी  संगठन  यूनाईटेड  लिबरेशन  फ्रंट  ऑफ  असम  यानी  उल्फा  अभी  कमजोर  नहीं  है,  यही  दिखाने  के  लिए  उल्फा  आतंकवादियों  ने  असम  के  नलबाड़ी  जिले  में  धमाके  किए  हैं।  उल्फा  आतंकवादियों  की  इस  आतंकी  कार्यवाही  में  सरकार  पर  यह  दबाव  बनाने  का  भी  एक  बड़ा  संकेत  है  कि  बांग्लादेश  में  गिरफ़्तार  दो  कमांडों  की  रिहाई  बिना  शर्त  की  जाए।  विशेषज्ञों  का  मानना  है  कि  पूर्वोत्तर  में  शांति  बहाल  करने  के  लिए  सरकार  समग्र  सोच  के  साथ  अलगाववादी  संगठनों  से  वार्ता  करे  या  इन  संगठनों  के  साथ  युद्ध  स्तरीय  कार्रवाई करे।  पूर्वोत्तर  राज्यों  में  भारत  सरकार  नक्सलवाद  और  अलगाववाद  से  निपटने  के  लिए  जहाँ  ठोस  उपाय  करने  का  दावा  करती  है,  वहीं  इन  आतंकी  संगठनों  से  वार्ता  करने  की  भी  पेशकश  करती  है।  सरकार  का  यह  दोहरा  रवैया  ही  देश  के  अंदर  पनपे  इन  आतंकवादी  संगठनों  के  हौसले  बुलंद  कर  रहे  हैं।  रविवार  को  असम  के  नलबाड़ी  जिले  में  थाने  के  निकट  बारी-बारी  से  किए  दो  धमाकों  में  फिर  से  निर्दोष लोगों  को  काल  का  ग्रास  बनाया  गया  है,  इससे  पहले  13  जुलाई,  2009  को  उल्फा  आतंकियों  द्वारा  बालीपारा  के  जंगल  में  बिछाई  बारूदी  सुरंग  की  चपेट  में  आकर  सेना  के  कमांडर  एस.एम.  थिरूमल    उनकी  जीप  का  चालक  मौत  का  शिकार  हो  गया  था।

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