समय कम है आपके पास Samay Kam Hai Aapke Paas By Avinash Ranjan Gupta
समय कम है आपके पास
प्रकृति ने भी क्या
बेहतरीन व्यवस्था कर रखी है कि इस धरती के
प्रत्येक जीवधारियों को प्रतिदिन 24 घंटे मिलते हैं। अगर बुद्धिजीवी माने जाने
वाले मनुष्यों की बात करें तो सभी वर्गों के लोग प्रतिदिन 24 घंटों का स्वामी बनने
के बाद भी कहते हैं कि उनके पास समय की कमी रहती है। संधान करने पर पता चला कि लोग
अपने आपको कुछ ऐसे कामों में व्यस्त किए हुए हैं जिससे वे दुनिया में आराम से जी
सकने के ज़्यादा से ज़्यादा सामान जुटा सकें। परंतु वे उस काम की ओर आकर्षित होते
नहीं दिखाई देते जिससे वे इस दुनिया से जाने के बाद भी लोगों के दिलों में जीवित
रह सकें। कुछ लोग तय तो करते हैं कि वे मानवीय मर्यादाओं और
मानवीयता का पोषण करेंगे परंतु जब करने की बारी आती है तो व्यापारिक दृष्टिकोण से
लाभ-हानि के वश में पड़कर अपने निर्णय से विमुख हो जाते हैं। इसका कारण यह है कि उनका
मस्तिष्क माया के मोह में पड़ चुका है।
प्रत्येक व्यक्ति को
आजीवन ज़िम्मेदारियों और कुछ अंशों में मर्यादाओं का पालन करना पड़ता है परंतु बात
जब कुछ ठोस करने की आती है तो उनका यह जुमला “समय की कमी है” या “समय नहीं है।”
कभी नहीं बदलता। वास्तव में कमी समय की नहीं होती बल्कि इच्छा और धैर्य की होती
है। दूसरी तरफ आज जिस द्रुत गति से समाज दौड़ता हुआ नज़र आता है, संस्कृति छूटती हुई-सी
मालूम पड़ने लगी है और आधुनिक सभ्यता भौतिकवादी (Materialistic) कलमा पढ़ रहा है, ऐसे में समय की कमी तो होती ही है। परंतु कुछ लोग
इसी समय की कमी में से स्वयं के लिए समय निकालकर उन्नति के शिखर पर पहुँचते हैं और
अपना नाम इतिहास के पन्नों में सदा के लिए अमर कर लेते हैं। वे प्रतिदिन के
कार्यों का निर्वाह करने के साथ-साथ अपने आत्म-विकास के लिए तथा मानवीय मूल्यों को
सही दिशा प्रदान करने के लिए भी समय नियोजित (Invest) करते हैं। इन्हीं कारणों से उन्हें सब असाधारण
व्यक्तित्व (Extraordinary Personality) की संज्ञा देते हैं। यह गुण उनमें ईश्वर प्रदत्त
नहीं होती वरन् वे आत्म-मंथन (Introspect) कर अपने अंदर के गुणों और जीवन के उद्देश्यों की
परख करते हैं। इतिहास ऐसे अनेक महापुरुषों के उदाहरणों से भरा पड़ा है।
अगर आप भी अपने
जीवन को सही आयाम (Dimension) देना चाहते हैं तो रुकिए, बैठिए और सोचिए कि आप अपने जीवन के अंतिम क्षणों
में मुसकराना पसंद करेंगे या फिर आपको पछतावा होगा कि आप आजीवन रेगिस्तान में
जलाशय की खोज में दौड़ते रहे और हाथ कुछ नहीं लगा। आप बहुत कुछ कर सकते थे परंतु
कुछ भी नहीं कर पाए। उन अंतिम क्षणों में आपके पास न कर पाने की पीड़ा और व्यर्थ जीवन
के काफी अनुभव होंगे परंतु कोई भी उन अनुभवों को आपसे साझा नहीं करेगा क्योंकि सुख
के सब साथी दुख में न कोय।
आज आपकी उम्र जितनी
भी हो गई हो एक बार पिछले जीवन (Flashback) में जाकर देखिए कि क्या आपने कुछ भी ऐसा किया है
जिससे दूसरों को तथा आपको खुद अपने मनुष्य होने पर गर्व हुआ हो। अगर जवाब हाँ है
तो उन कार्यों की विविधता से आवृत्ति (Repetition) होनी चाहिए और जवाब न है तो ऐसे कार्यों की सूची
आपको तैयार कर लेनी है और उस पर यथाशीघ्र काम शुरू कर देना है। दुनिया केवल
बेहतरीन को याद रखती है और बेहतरीन बनने के लिए आपको 24 घंटे में से ही समय
निकालना पड़ेगा।
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