‘सागर और मनुष्य’ उपन्यास समीक्षा The Old Man And Sea Review By Avinash Ranjan Gupta


सागर और मनुष्य उपन्यास समीक्षा
सागर और मनुष्य
आर्नेस्ट हेमिंग्वे

          आर्नेस्ट हेमिंग्वे का जन्म 1898 ईस्वी में ओक पार्क, इलिनोइम में हुआ। पेशे से ये सैनिक थे। इन्होंने पत्रकार व लेखिका डॉलहॉर्न से 1942 में विवाह किया। इनका प्रसिद्ध उपन्यास ए फेयरवेल टू आर्म्स है। 1961 में बंदूक साफ़ करते वक्त गोली चल जाने की वजह से इनकी अकाल मृत्यु हो गई। इन्हें  नोबल पुरस्कार भी प्राप्त हो चुका है। इनकी लेखन शैली सामान्य होते हुए भी प्रभावी है और पाठकों के हृदय को छू जाती है।

          यह एक मनोवैज्ञानिक उपन्यास है जिसमें सैंटियागो नाम का एक  बूढ़ा मछुवारा पिछले 84 दिनों तक एक भी मछ्ली पकड़ने में असफल रहा था। उसकी नाव पर काम करने वाला मैनोलिन नाम का बालक अपने घरवालों के दबाव के कारण 40वें दिन ही सैंटियागो का नाव छोड़ देता है। हालाँकि, मैनोलिन सैंटियागो से बहुत स्नेह करता है। सैंटियागो साहसी और आशावादी था, पराजय स्वीकार करना तो वह जानता ही नहीं था। साठ साल से भी ज़्यादा उम्र होने के बावजूद उसे साठ साल का जवान कहना ही सही होगा।

          इस पुस्तक में मेरी रुचि का कारण मेरी जिज्ञासा है जो कथा के हरेक वाक्य में बलवती होती है और ऐसी जद्दोजहद वाली समस्याएँ मेरे जीवन में भी यदा-कदा आती रहती हैं।

          इस पुस्तक का श्रेष्ठ अंश मेरे लिए वह है जब सैंटियागो 85 दिनों के बाद 18 फीट की लंबी मछली पकड़ लेता है और लगभग दो दिनों तक उस मछ्ली से युद्ध कर उसे मार देता है। परंतु मछ्ली को मारने के बाद उसके रक्त की गंध अन्य ग्राहों तक पहुँच जाती है और किनारे तक पहुँचते-पहुँचते उन ग्राहों से मछली को बचाते-बचाते सैंटियागो के रस्से, पाल, अंकुश, भाला सब समुद्र की गहराई में चले जाते हैं।

          यह पुस्तक हमारी हौसलाआफजायी करती है और मैं यह पुस्तक उन सभी पाठकों को पढ़ने का निवेदन करूँगा जो अपने जीवन के उतार-चढ़ाव से निराश हो चुके हैं।

समीक्षक : अविनाश रंजन गुप्ता
दिनांक : 12.08.2017

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