निर्णय निर्धारण में अतीत Nirnay Nirdharan Me Ateet By Avinash Ranjan Gupta


निर्णय निर्धारण में अतीत           
      अपने पूरे जीवन काल हमें अनेक फ़ैसले लेने पड़ते हैं जिनमें से कुछ तत्काल, कुछ क्रोधवश और कुछ फ़ैसले हम अपने अहम् (Ego) को पोषित करने के लिए लेते हैं। हमलोगों ने अभी तक के जीवन में यह भी महसूस किया ही होगा कि बिना सोचे-समझे लिए गए निर्णय महँगे साबित हुए हैं। हम अपने आस-पास कुछ ऐसे लोगों को भी देखते हैं जिनकी समृद्धि और सुखी जीवन का कारण होता है- उनके पूरे सोच-विचार से लिए गए  अतीत के निर्णय। 
      आज की पीढ़ी की समस्या यह है कि कोई भी फ़ैसला लेते समय वे केवल वर्तमान को ही आधार बनाते हैं और समझदारी की मात्रा थोड़ी ज़्यादा होने पर वे भविष्य के बारे में भी सोचते हैं पर अतीत को हमेशा भूल जाते हैं। उदाहरण के तौर पर जब हमारा किसी के साथ किसी मुद्दे पर विवाद हो जाता है तो तत्काल हम कुछ ऐसा फ़ैसला ले लेते हैं जो सचमुच सही नहीं होता। ऐसी स्थिति में आवश्यकता है कि निर्णय लेते समय उस व्यक्तिविशेष के साथ हमारे अतीत के संबंध पर एक विचार। अगर आप एक भी स्थिति ऐसी पाते हैं जिसमें उस व्यक्ति ने आपकी मदद की हो या उसके सान्निध्य से आपका फायदा हुआ हो तो यकीनन आपका फ़ैसला ज़रूर बदल जाएगा।
      आज की पीढ़ी अगर अपने गाँव न जाना चाहती है तो उसे गाँव न जाने का फैसला लेते समय यह ज़रूर सोचना चाहिए कि उसके अस्तित्व का आविर्भाव उसी गाँव से हुआ है। अगर बच्चे अपने माँ-बाप को इस सोच से छोड़ देते हैं कि बड़ा बेटा या छोटा बेटा उनकी देखभाल कर रहा है तो यह फैसला लेते समय उन्हें अतीत की वो बातें ज़रूर सोचनी चाहिए जब उनके माता-पिता उसके लालन-पालन में अपनी रातें जागकर काट रहे थे। अपने सगे-संबंधियों को स्वार्थी कह देने से पहले यह ज़रूर विचार कर लेना चाहिए कि परिस्थितियाँ सदैव अनुकूल नहीं होतीं और आपने भी कभी न कभी उनके प्रति उदासीनता दिखाई होगी। अपने मातहतों (Subordinate) पर चिल्लाने से पहले ये विचार कर लेना चाहिए कि वे आपके नीचे काम करते हैं तभी आपका पद ऊँचा है या उनके ही सहयोग से आप ऊँचे पद तक पहुँचे हैं। ज़्यादा काम कराने वाले बॉस को डिस्गस्टिंग कहने से पहले पिछले महीने के वेतन का ख़्याल ज़रूर आना चाहिए।
      निर्णय लेना सभी के जीवन का एक अभिन्न अंग है और हमारे निर्णय से हमारे साथ-साथ अनेक लोगों के भी तार जुड़े रहते हैं इसलिए हमें चाहिए कि निर्णय लेने से पहले अतीत फिर वर्तमान और भविष्य सभी पर सही से विचार कर लिया जाए।  


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