KAIFI AAZANI- KAR CHALE HUM FIDA कैफ़ी आज़मी — कर चले हम फ़िदा CLASS X HINDI B 2 MARKS QUESTIONS ANSWERS
2 Marks Questions
1. कवि ने इस कविता में किस काफिले को बढ़ाते रहने की बात कही है?
2. इस गीत में ‘सर पर कफ़न बाँधना’ किस और संकेत करता है?
3. कवि ने ‘साथियों’ संबोधन का प्रयोग किसके लिए किया है?
4. गीत में ऐसी क्या ख़ास बात होती है कि वे जीवन हर याद रह जाते हैं?
5. ‘कर चले हम फ़िदा’ नज़्म के आधार पर बलिदानी सैनिक के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालिए।
6. ‘सर हिमालय का हमने न झुकने दिया’ इस पंक्ति में हिमालय किस बात का प्रतीक है?
7. ‘अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों’ किसने कहा है और क्यों?
8. सीता किसे कहा गया है? और कवि सैनिकों से सीता के लिए क्या अपेक्षा रखता है?
9. सैनिक के किस कथन से पता चलता है कि वह मृत्यु के निकट होने पर भी शत्रु को ललकार रहा है?
2 Marks Answers
1. कवि ने
इस कविता
में देश
के लिए
प्राणों का
बलिदान करने
वाले लोगों
के काफिले
को आगे
बढ़ाते रहने
की बात
की है
उनके अनुसार
देश पर
प्राणों की
आहुति देने
की परम्परा
जारी रहनी
चाहिए।
2.
इस गीत में ‘सर पर कफ़न बाँधना’ इस और संकेत करता है कि हम अपने देश की रक्षा के लिए प्राणों की बाज़ी लगाने के लिए सहर्ष तत्पर हैं और हम बलिदान की परम्परा को निरंतर जारी रखेंगे ।
3. कवि ने ‘साथियों’ संबोधन
देश के
लिए प्राणों
की आहुति
देने वाले
सैनिक द्वारा
अन्य सैनिकों के लिए करवाया
है परंतु
अपने विस्तृत
रूप में
यह संबोधन
सभी भारतवासियों
के लिए
किया है।
4. गीत की शब्द योजना, उसकी भावपूर्ण अभिव्यक्ति उसकी मार्मिकता तथा लय आदि मिलकर उसको एक ऐसा विशिष्ट रूप प्रदान करते हैं कि वे जीवन भर याद रह जाते हैं।
5. इस नज़्म
के आधार
पर हम
बलिदानी सैनिक
के व्यक्तित्व
में निम्नलिखित
विशेषताएँ देख
पातें हैं- वह देश
की रक्षा
के लिए
हँसते-हँसते
प्राणों की
बाज़ी लगा
देता है।
उसकी साँसें
थामने लगती
हैं और
नब्ज़ जमती
जाती है
फिर भी
वह युद्ध
क्षेत्र में
अपने बढ़ते
कदम को
पीछे नहीं
हटने दिया।
उसके सिर
भले ही
कट जाए
उसने हिमालय
के सम्मान
पर आँच
नहीं आने
दी। और
उसको मृत्यु
के सन्निकट
होने पर
भी देश
के लिए
चिंतित था
और अपनी
मृत्यु से
पूर्व देश
की रक्षा
का उत्तरदायित्व
अन्य साथियों
को सौपना
चाहता है।
इस प्रकार
वह साहसी, आशावादी, संघर्षशील, देशभक्त और
बलिदानी है
।
6.
इस
पंक्ति में हिमालय भारत के सम्मान का प्रतीक है। भारतीयों ने अपना सर कटा कर
हिमालय का सर नहीं झुकाने दिया अर्थात् सैनिकों ने अपने देश के सम्मान की रक्षा के
लिए प्राण गँवा दी पर अपने जीते-जी शत्रु को भारतीय भूमि पर आधिपत्य नहीं जमाने
देकर मातृभूमि के सम्मान की रक्षा की थी ।
7. ‘अब
तुम्हारे हवाले
वतन साथियों’ एक बलिदानी
सैनिक ने
अन्य सैनिक
से कहा
है। क्योंकि
वह चाहता
है कि
उसका बलिदान
व्यर्थ न जाए । उसके साथी
अपने प्राणों
की आहुति
देकर भी
देश की
रक्षा करें
।
8. सीता भारत माता को कहा गया है। कवि सैनिकों से ये अपेक्षा रखता है कि वे सीता रुपी भारतमाता की रक्षा के लिए राम और लक्ष्मण के समान उसकी रक्षा करेंगे और रावण रूपी शत्रु से उसको सुरक्षा प्रदान करेंगे ।
9. जब सैनिक
कहता है
कि उसकी
साँस थामने
लगी और
नब्ज ज़माने
लगी तब
भी उसने
अपने बढ़ाते
कदम को
रुकने नहीं
दिया, तो
पता चलता
है कि
वह मृत्यु
के निकट
होने पर
भी शत्रु
को ललकार
रहा है
।
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