इतिहास रचा जा रहा है Itihas Racha Ja Raha Hai By Avinash Ranjan Gupta


इतिहास रचा जा रहा है         
      इस दुनिया में हर चराचर (चर-अचर यानी जीवित मृत) का एक इतिहास है। बिना इतिहास के इस दुनिया में कुछ भी नहीं है। अपने आस-पास नज़र दौड़ाएँ आपको यह भान होते देर न लगेगी कि इस कथन की पूर्ण वैद्यता है।   
      बात जब हमारे व्यक्तित्व की होती है, हमारे जीवन की होती है तो हम सब यही चाहते हैं कि किसी भी कीमत पर हमारा काला अतीत हमारे सामने न आने पाए। परंतु सच्चाई तो यह है कि इतिहास कभी भी हमारा पीछा नहीं छोड़ता। अगर हम अपने काले अतीत को दुनिया से छिपा भी लें फिर भी वह हमारे जेहन में हमेशा ही रहता है। अगर आपका अतीत काला होने के साथ-साथ धब्बेदार भी है तो यह मरणोपरांत भी आपका पीछा नहीं छोड़ेगा और आपके भावी वंशजों के लिए अभिशाप की तरह फलित होगा। पौराणिक युग के रावण और कंस, इतिहास का जयचंद, मीर जाफ़र और 1857 की क्रांति के देशद्रोही नाभा रियासत, पटियाला रियासत और सिंधिया परिवार के लोगों को आज भी दुर्भावना से ही याद किया जाता है। 
      हमलोगों की समस्या यह है कि हम यह सब जानते हुए भी यह सोचते हैं कि एक बार बेईमानी का सहारा ले ही लेते हैं लोगों को पता नहीं चलेगा और जब हमारा काम हो जाता है तो हमारे अंदर लाभ से लोभ पैदा होने लगता है और एक बार से अनेक बार की परिपाटी (Process) शुरू हो जाती है और चाह कर भी हमें सही रास्ते पर लौटने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार व्यायाम, योग और पौष्टिक भोजन के अभाव से हमारा पेट बढ़ने लगता है और एक दिन ऐसा भी होता है जब बढ़े पेट के कारण न ही हम किसी को गले लगा पाते हैं और न ही स्वस्थ जीवन की रह पर चल पाते हैं।
      आपका इतिहास भगवान नहीं बदल सकता परंतु इतिहासकार ज़रूर बदल सकते हैं। अपने जीवन में हम सभी कभी न कभी कोई न कोई गलती गलती से कर ही बैठते हैं, इसे अज्ञानता और भूलवश का जामा पहनाकर नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है। ये इंसानी कमी है और हम अच्छी आदतों से इससे निजात पा सकते हैं। परंतु कुछ ऐसे भी व्यक्ति होते हैं जिनकी लोक छवि अनुकरणीय और आदर्शों से भरे होने पर भी अपने पूरे जीवन में कभी न कभी कुछ ऐसा कर ही बैठते हैं कि लोग उसे दो कौड़ी का इंसान कह ही देते हैं। याद रखिए शिखर पर बहुत ही कम जगह होती है और वहाँ पहुँचना मुश्किल होता है पर उससे भी ज़्यादा मुश्किल होता है शिखर पर बने रहना।
      व्यक्ति महान या तुच्छ सामान्य स्थितियों में नहीं वरन् विपरीत परिस्थितियों में अपने लिए गए निर्णयों से बनता है। अगर आप अपने जीवन के इतिहास को अनुकरणीय बनाना चाहते हैं तो कभी भी विपरीत परिस्थितियों में धैर्य, सत्य और सुकर्मों का साथ न छोड़ें। अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो तत्काल समस्या से उबर जाने के बाद आजीवन आपको अपने दुर्बल व्यक्तित्व का भार ढोना ही पड़ेगा। 
       





     


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