DAYARI KA EK PANNA डायरी का एक पन्ना 2 MARKS QUESTIONS ANSWERS


2 Marks Questions
1.   खुला  चैलेंज  देकर  ऐसी  सभा  पहले  नहीं  की  गई थी’- आशय स्पष्ट कीजिए
2.   पुलिस  जुलूस  को  क्यों  नहीं  रोक  सकी  थी ?
3.   सुभाष बाबू के जुलूस में स्त्री समाज की क्या भूमिका थी?
4.   धर्मतल्ले के मोड़ पर आकर जुलूस क्यों टूट गया ?
5.   आज जो बात थी वह निराली थी’- किस बात से पता चल रहा था कि आज का दिन अपने आप में निराला था? स्पष्ट कीजिए?
6.   पुलिस कमिश्नर के नोटिस और कौंसिल के नोटिस में क्या अंतर था?
7.   पुलिस ने बड़े-बड़े पार्कों और मैदानों को क्यों घेर लिया था?
8.   कलकत्तावासियों के लिए २६ जनवरी १९३१ का दिन क्यों महत्त्वपूर्ण था?
9.   २६ जनवरी १९३१ के दिन को अमर बनाने के लिए क्या-क्या तैयारियाँ की गईं?

2 Marks Answers
1.   इस पंक्ति में लेखक उस समय का वर्णन कर रहे हैं जब स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर ब्रिटिश सरकार ने क़ानून भंग होने से रोकने के लिए, किसी भी सार्वजनिक सभा को होने से रोकने के लिए नोटिस और सूचना दे दी थी कि जो व्यक्ति किसी भी सभा में शामिल होगा ,वह दोषी समझा जाएगा   सर्वसाधारण और क्रांतिकारियों ने खुली चुनौती के रूप में सभा का आयोजन करने का निश्चय किया था इससे पूर्व कोई ऐसी सभा पहले नहीं की थी
2.   लोगों में स्वतंत्रता दिवस मनाने का जबरदस्त उत्साह था   वे स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए कोई भी बलिदान करने को तैयार थे   इसीलिए प्रशासन और पुलिस की पूरी सख्ती दिखाने के बावजूद पुलिस जुलूस को रोकने में असमर्थ रही
3.   सुभाष बाबू के जुलूस में स्त्रियों का विशेष सहयोग था   गुजराती सेविका संघ के जुलूस में पुलिस ने बहुत सी लड़कियों को गिरफ्तार किया   मारवाड़ी बालिका विद्यालय ने झंडोत्सव मनाया   स्त्रियाँ जुलूस निकालकर ठीक स्थान पर पहुँचाने की कोशिश कर रही थीं   लाठीचार्ज की परवाह किए बिना स्त्रियाँ बड़ी तादाद में मोनुमेंट पर जा पहुँची   उसकी सीढ़ियों पर झंडा फहराया और घोषणा पढ़ी   पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लाल बाज़ार भेजने पर भी उनका उत्साह कम नहीं हुआ   लगभग १०५ स्त्रियों को गिरफ्तार किया गया
4.   धर्मतल्ले के मोड़ पर आकर जुलूस इसलिए टूट गया क्योंकि पुलिस ने सुभाष बाबू को पकड़कर गाडी में बैठाकर लॉकअप भेज दिया   स्त्रियाँ जुलूस बनाकर वहाँ से आगे चलीं तो बहुत भीड़ एकत्र हो गई थी   पुलिस ने लाठी चार्ज शुरू कर दिया   इस कारण लगभग ५०-६० स्त्रियाँ वहीं मोड़ पर बैठ गईं और उन्हें पकड़कर पुलिस लाल बाजार ले गई
5.   २६ जनवरी १९३१ को बाजार, मकान, रास्ते आदि ऐसे सजाए गए थे जैसे आज ही स्वतंत्रता मिल गयी हो   रास्ते में जाते हुए मनुष्यों में उत्साह, नवीनता थी   इसी बात से पता चल रहा था कि आज का दिन अपने आप में निराला है   सभी लोग स्वतंत्रता दिवस मनाने के लिए उत्साह से सराबोर थे   पूरा शहर सजाया गया था   स्थान-स्थान पर सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस के जवान जगह-जगह पर तैनात थे   यह सब किसी निराली बात अथवा विशेष दिन का प्रतीक था
6.   पुलिस कमिश्नर के नोटिस के अनुसार अमुक-अमुक धारा के अनुसार कोई सभा नहीं हो सकती जबकि कौंसिल के नोटिस के अनुसार मोनुमेंट के नीचे ठीक चार बजकर चौबीस मिनट पर झंडा फहराया जाएगा तथा स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा पढी जाएगीसर्वसाधारण की उपस्थिति अनिवार्य है

7.   पुलिस ने बड़े-बड़े पार्कों तथा मैदानों को इसलिए घेर लिया था कि भारतीय जनता स्वतंत्रता का उत्सव मना सके और झंडा फहराकर सभा कर सकें
8.   इस दिन सारे हिन्दुस्तान में स्वतंत्रता दिवस की पुनरावृत्ति थी   और इस दिन कलकत्तावासी प्रथम बार खुला चैलेंज देकर स्वतंत्रता दिवस मनाने वाले थे   पुलिस के द्वारा निषेधाज्ञा जारी करने के बाद भी झंडा फहराया जाने वाले थे   इसलिए यह दिन कलकत्तावासियों के लिए महत्त्वपूर्ण था
9.   २६ जनवरी १९३१ के दिन को अमर बनाने के लिए काफ़ी तैयारियाँ की गई थीं   उसमें लोगों से चन्दा वसूल करने का कार्य का भार अलग-अलग लोगों को सौंपा गया   कार्यकर्ता घर-घर जाकर प्रचार कर रहे थे और कार्यकर्ताओं को भी समझाया जा रहा था   मकानों , पार्कों की सजावट एवं कार्यक्रम सभा-स्थल तय करने की तैयारियाँ की गईं थीं

Comments