Chunawi Vayade Par Feature


चुनावी वायदे; विषय पर फीचर लिखिए।
अगर हम जीते तो बेरोजगारी भत्ता दो हजार रुपये होगा।
किसानों को बिजली मुफ्त, पानी मुफ्त।
बूढ़ों की पेंशन डबल
जब भी चुनाव आते हैं तो ऐसे नारों से दीवारें रंग दी जाती हैं। अखबार हो, टी०वी० हो, रेडियो हो या अन्य कोई साधन, हर जगह मतदाताओं को अपनी तरफ खींचने के लिए चुनावी वायदे किए जाते हैं। भारत एक लोकतांत्रिक देश है। यहाँ हर पाँच वर्ष बाद चुनाव होते हैं तथा सरकार चुनने का कार्य संपन्न किया जाता है। चुनावी बिगुल बजते ही हर राजनीतिक दल अपनी नीतियों की घोषणा करता है। वह जनता को अनेक लोकलुभावने नारे देता है। जगह-जगह रैलियाँ की जाती हैं। भाड़े की भीड़ से जनता को दिखाया जाता है कि उनके साथ जनसमर्थन बहुत ज्यादा है। उन्हें अपने-अपने क्षेत्र की समस्याओं का पता होता है। चुनाव-प्रचार के दौरान वे इन्हीं समस्याओं को मुद्दा बनाते हैं तथा सत्ता में आने के बाद इन्हें सुलझाने का वायदा करते हैं। चुनाव होने के बाद नेताओं को न जनता की याद आती है और न ही अपने वायदे की, फिर वे अपने कल्याण में जुट जाते हैं। वस्तुत: चुनावी वायदे कागज के फूलों के समान हैं जो कभी खुशबू नहीं देते। ये केवल चुनाव जीतने के लिए किए जाते हैं। इनका वास्तविकता से कोई संबंध नहीं होता। अत: जनता को नेताओं के वायदों पर यकीन नहीं करना चाहिए तथा विवेक तथा देशहित के मद्देनजर अपने मत का प्रयोग करना चाहिए।

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