BADE BHAI SAHAB बड़े भाई साहब 2 MARKS QUESTIONS ANSWERS
2 Marks Questions
1. ‘आँखें आसमान की ओर थीं,
मन उस आकाशगामी पथिक की ओर, जो मंद गति से झूमता पतन की ओर चला जा रहा था ।,
मानो कोइ आत्मा स्वर्ग से निकलकर विरक्त मन से नए संस्कार ग्रहण करने जा रही हो”- आशय स्पष्ट कीजिए ।
2. ‘फिर भी जैसे मौत और विपत्ति के बीच भी आदमी मोह और माया के बंधन में जकड़ा रहता है, मैं फटकार और घुड़कियाँ खाकर भी खेलकूद का तिरस्कार न कर सकता था’- आशय स्पष्ट कीजिए ।
3. बड़े भाईसाहब के अनुसार जीवन की समझ कैसे आती है?
4. लेखक ने बड़े भाईसाहब के नरम व्यवहार का क्या फ़ायदा उठाया?
5. बड़े भाई साहब को अपने मन की इच्छाएँ क्यों दबानी पड़ती थीं?
6. बड़े भाई छोटे भाई को क्या सलाह देते थे और क्यों?
7. बड़े भाईसाहब दिमाग को आराम देने के लिए क्या करते थे?
8. छोटे भाई ने टाइम टेबल बनाते समय क्या-क्या सोचा और फिर उसका पालन क्यों नहीं कर पाया?
9. एक दिन जब गुल्ली-डंडा खेलने के बाद छोटा भाई बड़े भाई साहब के सामने पहुँचा तो उनकी क्या प्रतिक्रया हुई?
2 Marks Answers
1. इन
पंक्तियों में उस समय का वर्णन है जब एक दिन संध्या समय लेखक एक कनकौआ लूटने के लिए बेतहाशा दौड़ा जा रहा था ।
उसकी आँखें तो आसमान की ओर थीं और मन उस पतंग की ओर था जो आकाश में धीरे-धीरे
नीचे की ओर गिरती आ रही थी मानो कोई आत्मा नवीन शरीर धारण करने के लिए मंद गति से बढ़ रही हो उसी प्रकार पतंग भी किसी नए बालक के हाथ में जाना चाहती थी ।
2. मनुष्य यह भली-भाँति जानता है कि विपत्तियाँ और मौत जीवन में अवश्यंभावी है फिर भी आदमी मोह और माया से स्वयं को अलग नहीं कर पाता । उसी प्रकार छोटा भाई यह भली-भाँति जानता था कि खेलकूद के बाद उसे बड़े भाई की फटकार सहनी पड़ेगी परंतु वह स्वयं को खेलकूद से रोक नहीं पाता था ।
3. बड़े
भाईसाहब के अनुसार जीवन की समझ अनुभव से आती है ।उनके
अनुसार केवल पुस्तकों के पढ़ने और परीक्षा उत्तीर्ण कर लेने मात्र से जीवन की समझ नहीं आती ।
अनुभव से हम विषम परिस्थितियों का सामना करने में सक्षम होते हैं ।जीवन
की विभिन्न परिस्थितियों के अनुकूल व्यवहार करने में सक्षम होते हैं ।
गृह प्रबंध आदि का ज्ञान पुस्तकों से नहीं अनुभव से ही आता है ।साथ
ही अपने से छोटों के चरित्र निर्धारण की विधियाँ पुस्तकें नहीं अनुभव सिखाता है ।
उत्तरदायित्व निभाना और आत्मसंयम विद्यालयों में नहीं सिखाया जाता वरन् व्यक्ति अनुभव से ही सीखता है ।
4. लेखक ने भाईसाहब के नरम व्यवहार का अनुचित फ़ायदा उठाना प्रारम्भ कर दिया । वह यह सोचने लगा कि चाहे वह पढ़े न पढ़े पास तो हो ही जाएगा । अब भाईसाहब को उसे डाँटने का अधिकार नहीं रहा यही सोचकर वह स्वच्छंद हो गया ।उसने पतंगबाजी का नया शौक पाल लिया।
5. बड़े
भाईसाहब को अपने मन की इच्छाएँ इसलिए दबानी पड़ती थी क्योंकि उसके ऊपर अपने छोटे भाई की देखभाल का उत्तरदायित्व था ।
यदि वह स्वयं ही मेलों- तमाशों में जाते, खेलकूद में लगे रहते और हर समय पढ़ते न रहते तो वह छोटे भाई को नहीं रोक पाते ।
इसलिए वह अपने मन की इच्छाओं को दबाकर छोटे भाई के सामने आदर्श प्रस्तुत करते थे क्योंकि छोटा भाई मेधावी था और भाईसाहब उसे सही रास्ते पर चलाना चाहते थे ।
6. बड़े भाईसाहब छोटे भाई को पढाई में रात-दिन आँखें फोड़ने की सलाह देते थे ।उन्हें घमंड न करने की सलाह देते हुए मेहनत करने के लिए कहते हैं । वे अनुभव को महत्त्व देते हुए छोटे भाई को अपनी सलाह मानने के लिए कहते थे । बड़े भाईसाहब छोटे भाई को सलाह इसलिए देते थे क्योंकि वे अनुभवी थे और जानते थे कि उनकी सलाह छोटे भाई के काम आएगी और वह अच्छी शिक्षा प्राप्त करने में सफल होगा ।
7. बड़े
भाईसाहब दिमाग को आराम देने के लिए कॉपी पर, किताब के हाशियों पर चिड़ियों, कुत्तों, बिल्लियों की तस्वीरें बनाते रहते थे ।
वे कभी-कभी
एक ही शब्द को दस-बीस
बार लिख डालते थे ।
कभी एक ही शेर को बार-बार
सुन्दर अक्षरों में नक़ल करते रहते थे ।
8. छोटे भाई ने बड़े भाई की लताड़ सुनकर अपनी पढाई का टाइम टेबल बनाते समय यह सोचा कि अब से वह पढाई पर ध्यान देगा । वह प्रातःकाल छः बजे उठेगा, मुँह-हाथ धो, नाश्ता कर पढने बैठ जाएगा । वह छह से रात ग्यारह बजे तक क्रमानुसार सभी विषयों को निर्धारित समयानुसार पढेगा । उसने यह टाइम टेबल तो बना लिया परंतु इसका पालन नहीं कर पाया क्योंकि उसे खेलना बहुत प्रिय था और टाइम टेबल में खेलकूद की जगह भी नहीं थी इसलिए वह टाइम टेबल का पालन नहीं कर पाया ।
9. एक
दिन जब गुल्ली-डंडा
खेलने के बाद छोटा भी बड़े भाई के सामने पहुँचा तो उसे भाई साहब का रौद्र रूप देखने को मिला बाई साहब ने उसे घमंडी बताते हुए उसे रावण, शैतान और शाहेरूम का उदाहरण देकर उसे घमंड से बचने की सलाह हैं ।
उन्होंने पढाई का हव्वा दिखाकर उसे हर समय पढ़ने के लिए प्रेरित किया ।
साथ ही वर्तमान शिक्षा प्रणाली का मज़ाक उड़ाते हुए खेलकूद में समय बरबाद करने के लिए डांटा और कहा कि यदि यही सब करना है तो गाँव लौट जाओ ।
Many spelling and grammar mistakes...
ReplyDelete