पतझड़ में टूटी पत्तियाँ AVEENDRA KELEKAR – PTJHAR ME TOOTI PATTIYAN- GINNI KA SONA N JHEN KI DEN CLASS X 2 MARKS QUESTION ANSWERS


2 Marks Questions
1.    चाजीन की कौन सी क्रियाएँ गरिमापूर्ण थी?
2.    टी-सेरेमनीकी व्यवस्था कहाँ पर थी? और वहाँ लेखक का स्वागत कैसे किया गया ?
3.    लेखक ने भूत और भविष्य को मिथ्या क्यों कहा है?
4.    जापान के लोगों में कौन सी बीमारी अधिक मिलती है और क्यों?
5.    शुद्ध आदर्शों की तुलना सोने से और व्यवहारिकता की तुलना तांबे से क्यों की गई है?
6.    टी-सेरेमनीमें कितने आदमियों को प्रवेश दिया जाता है और क्यों?
7.    व्यवहारवादी लोग किस प्रकार के होते हैं?
8.    शुद्ध सोना और गिन्नी का सोना अलग क्यों होता है?
9.    प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट किसे कहते है? (Impt.)
2 Marks Answers
1.   चाजीन ने अंगीठी जलाकर उसपर चाय का पानी रखा। कुटी में पूर्ण शान्ति होने के कारण पानी के खदबदाने का स्वर भी सुनाई दे रहा था। चाजीन ने दूसरे कक्ष से लाकर बर्तनों को तौलिए से पूछने की क्रियाएँ अत्यंत गरिमापूर्ण ढंग से की।
2.   टी-सेरेमनीकी व्यवस्था एक छः मंजिला इमारत की छत पर बनाई गई एक पर्णकुटी में थी। लेखक और उसके मित्र ने बाहर रखे बेढब से बर्तन से पानी लेकर हाथ-मुँह धोए और भीतर प्रवेश किया। अंदर बैठे ‘चाजीन’ ने कमर झुकाकर प्रणाम किया और ‘दो...झो...’कहकर उनका स्वागत किया।
3.   लेखक ने भूत और भविष्य को मिथ्या इसलिए कहा है क्योंकि भूतकाल बीत चुका है और अब उसका कोई अस्तित्व नहीं है और भविष्य अभी आया नहीं है अतः वह भी अस्तित्वविहीन है।
4.   जापान  के  लोगों  में  मानसिक  बीमारी  अधिक  मिलती  हैं  क्योंकि  अमेरिका  के  साथ  प्रतिस्पर्धा  के  चलते  लोगों  के  जीवन  की  रफ्तार  बढ़  गई  है।  लोग  चलने  की  जगह  भागने  लगे  हैं,  बोलने  की  जगह  बकने  लगे  हैं।  दिमाग  की  रफ्तार  तेज़  रहने  लगी  है।  स्पीड  का  इंजन  लगने  पर  दिमाग  का  तनाव  इतना  बढ़  जाता  है  कि  पूरा  इंजन  टूट  जाता  है।  और  व्यक्ति  मानसिक  रोगों  से  घिर  जाता  है
5.   जिस प्रकार शुद्ध सोने में कोइ मिलावट नहीं होती उसी प्रकार शुद्ध आदर्शों में कोई समझौता नहीं होता किंतु शुद्ध सोने से गहने नहीं बनवाए जा सकते उसके लिए उसमें तांबे की मिलावट करनी ही पड़ती है। उसी परकार शुद्ध आदर्शों को व्यवहार में उतारने के लिए व्यावहारिकता की मिलावट करनी पड़ती है। इसलिए शुद्ध आदर्शों की तुलना सोने से और व्यावहारिकता की तुलना तांबे से की गई है।
6.   टी सेरेमनीमें तीन आदमियों को प्रवेश दिया जाता है क्योंकि शांति इस सेरेमनी की मुख्य विशेषता है। तीन से अधिक व्यक्तियों के होने पर शांति भंग होने की संभावना होती है। इसलिए टी-सेरेमनीमें केवल तीन व्यक्तियों को ही प्रवेश की अनुमति होती है।

7.   व्यवहारवादी लोग आदर्शों को पीछे करके केवल अपने लाभ-हानि के बारे में सोचकर ही कार्य करते हैं।वे अपने स्वार्थ के बारे में सजग भी रहते हैं।
8.   शुद्ध सोने में कोई मिलावट नहीं होती जबकि गिन्नी के सोने में मिलावट होती है और इसका प्रयोग आभूषण बनाने के लिए किया जाता है।
9.   जो व्यक्ति आदर्शों को अपने व्यवहार में उतारकर उन्हें व्यवहारिक बना लेते हैं, उन्हें प्रैक्टीकल आइडियालिस्ट कहते हैं।

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