Apna Role Model Khus Bane अपना रोल मॉडल खुद बनें By Avinash Ranjan Gupta
अपना रोल मॉडल खुद बनें
अगर मैं ईश्वर की अभियांत्रिकी
(Engineering) का बखान करूँ तो वे एकमात्र ऐसे अभियंता (Engineer) हैं
जिन्होंने जितनी भी जड़ और चेतन चीज़ें बनाईं हैं वे सभी उत्कृष्टता के उत्कृष्ट
नमूने हैं। उन्होंने तरह-तरह के पेड़, पर्वत, नदी, पशु, पक्षी, इंसान बनाए और सभी प्रकार अपने में श्रेष्ठ हैं।
इसलिए ईश्वर का कार्य अद्वितीय है।
ईश्वर ने निर्माण
कार्य तो बेहतरीन तरीके से कर दिया परंतु सामाजिक व्यवस्था, सभ्यता और संस्कृति का
दायित्व अपनी सभी कृतियों में सबसे श्रेष्ठ कृति मनुष्यों के कंधे पर रखना उचित समझा।
मनुष्यों ने सामाजिक व्यवस्था, सभ्यता और संस्कृति को अपने पर्यावरणीय (Environmental), पारिस्थितिकी (Ecology), विचार और जीवन शैली (Life Style) के
आधार पर निर्धारित किया है। पहले ईश्वर ने मनुष्य को बनाया और आज मनुष्य ईश्वर को अपने-अपने
तरीके से बना और पारिभाषित कर रहा है।
जिस प्रकार ईश्वर
की प्रत्येक कृति आज के बदलते दौर में औचित्य (Suitability) और आवश्यकतानुसार परिवर्तन से प्रभावित हैं और
कमोबेस अपने अच्छे-बुरे रूप में यदा-कदा हमारे सामने आतीं रहती हैं। ये जानने के
बाद भी हम इस परिवर्तनशील दुनिया में किसी समय विशेष व्यक्ति को अपना रोल मॉडल
मानते हैं। सच तो यह है कि हमसे अलग कोई भी व्यक्ति किसी भी रूप में हमसे सभी
क्षेत्रों में समान नहीं हो सकता। हम जिन्हें अपना रोल मॉडल बना लेते हैं उनका समय, उनकी जीवन शैली, उनकी सोच, उनका जन संपर्क, उनकी मानसिकता, उनके गुण हू-ब-हू हमसे
कभी भी नहीं मिल सकते और कलियुग के प्रभाव से ऐसा हो भी जाए तो क्या वे जिस स्थान
पर हैं या थे हमारे उसी स्थान पर पहुँचने
के बाद क्या हम उनके पदचिह्नों को गहरा करते नज़र नहीं आएँगे? अगर हमने किसी और की लीक
(Way)
पर ही चलने का निर्णय ले लिया है तो क्या ये हमारी सृजनात्मकता (Creativity) के
साथ अन्याय (Injustice) नहीं? (Always there is a room
for improvement) विकास की जगह हमेशा बनीं
रहती है।
जब पुराने गानों को
रीमिक्स कर कर पुनः प्रसिद्ध और कर्णप्रिय गीतों में तब्दील (Change) किया
जा सकता है तब आपके रोल मॉडल के बताए गए आदर्शों और सिद्धांतों का नवीनीकरण करके, उसमें व्यावहारिकता का
पुट देकर, उसे सरल और समृद्ध कर, क्या हम उसे अपने जीवन की सफलता का आधार नहीं बना
सकते हैं? आपके या मेरे हिसाब से कभी भी कोई भी व्यक्ति शत-प्रतिशत नहीं
हो सकता ठीक उसी प्रकार आपको स्वयं से बेहतर और कोई नहीं जनता। आप जब अपनी पूर्ण
क्षमता के अनुसार कर्म करते हैं तो आप खुद को आश्चर्यचकित करते हैं।
ये जीवन प्रयोगों (Practical) से
होते हुए निष्कर्ष (Conclusion) तक पहुँचने के लिए है और आपको भी अपने जीवन की इन
दो विधियों से गुजरना ही पड़ेगा।
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