अँधेर नगरी चौपट राजा Andher Nagaree Choupat Raja Natak Review By Avinash Ranjan Gupta


अँधेर नगरी चौपट राजा नाटक की समीक्षा
अँधेर नगरी चौपट राजा  
भारतेंदु हरिश्चंद्र       

          भारतेंदु हरिश्चंद्र का जन्म 9 सितंबर 1850 में हुआ था। ये  आधुनिक हिंदी साहित्य के पितामह कहे जाते हैं। वे हिंदी में आधुनिकता के पहले रचनाकार थे।

          अँधेर नगरी चौपट राजा नाटक एक हास्यपूर्ण रचना है जिसमें आज के युग की कड़वी सच्चाई छिपी हुई है। इसमें सत्ताधीश भले ही कितना मूर्ख क्यों न हो लोग अपने फायदे के लिए उसकी चाटुकारिता करते हैं और आम जनता हमेशा कष्टों में जीवन व्यतीत करती है। आश्चर्य की बात तो यह है की ऐसे लोगों के विरोध में भी लोग खड़े नहीं होते हैं क्योंकि सभी को अपनी पड़ी रहती है।   

          इस नाटक में मेरी रुचि का कारण मेरा क्रांतिकारी स्वभाव है जो मुझे अपने जैसे सामान्य वर्ग के लोगों के अधिकारों को किसी मूर्ख और अयोग्य के हाथों से छीनना है।

           
           असल में अँधेर नगरी चौपट राजा का गूढ़ अर्थ  पाठकों में अपने अधिकारों के प्रति सजग होने की लौ जलाती है तथा अत्याचारों के प्रति विरोध की भावना को भी हवा देती है। 

समीक्षक : अविनाश रंजन गुप्ता
दिनांक : 12.06.2018

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