‘अब कहाँ दूसरे के दुःख से दुखी होने वाले’ AB KAHAN DOOSRO KE DUKH SE DUKHI HONE WAALE 5 MARKS QUESTIONS ANSWERS


5 Marks Questions

1.लेखक की पत्नी को जाली क्यों लगवानी पड़ी? 
2.नेचर की सहनशक्ति की एक सीमा होती है। नेचर के गुस्से का एक नमूना कुछ साल पहले मुंबई में देखने को मिला था’-आशय स्पष्ट कीजिए।
3.बढ़ती हुई आबादी का पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ा?
5 Marks Answers
1.      लेखक के वर्सोवा वाले फ़्लैट के एक मचान में दो कबूतरों ने घोंसला बना लिया है। उनके बच्चे छोटे होने के कारण उनको खिलाने-पिलाने की जिम्मेदारी अभी बड़े कबूतरों की ही थी। वे दिन में कई-कई बार अन्दर-बाहर आते-जाते थे। जिससे बड़ी परेशानी होती थी। कभी-कभी तो वो कोई चीज गिराकर तोड़ देते थे, कभी लायब्रेरी की पुस्तकें गंदी कर देते थे। इस रोज-रोज की परेशानी से तंग आकर लेखक की पत्नी ने उनके आशियाने की जगह पर एक जाली लगा दी। और उनके बच्चों को दूसरी जगह रख दिया।
2.      इस कथन का आशय यह हे कि नेचर अर्थात् प्रकृति स्वयं से अधिक छेड़छाड़ सहन नहीं करती। वह अपने नियमों से ही चलती है। यदि मनुष्य अपनी सुख-सुविधा के लिए उसका अत्यधिक दोहन करता है तो प्रकृति को क्रोध आ जाता है। प्रकृति के क्रोध का नमूना कुछ सालों पहले मुंबई के समुद्र तट पर देखने को मिला। बिल्डरों ने समुद्र की धरती पर जब जरूरत से ज्यादा कब्जा कर लिया। तब एक दिन समुद्र ने क्रोध में आकर तीन जहाजों को गेंद की तरह हवा में उछाल दिया। ये तीनों जहाज अलग-अलग स्थानों पर जाकर गिरे और चकनाचूर हो गए। 
3.      बढ़ती हुई आबादी के कारण पर्यावरण-असंतुलन बढ़ गया। जहाँ घने जंगल और पेड़ थे उन्हें काटकर मानव-बस्तियाँ निर्मित कर दी गईं।समुद्र को पीछे धकेलकर वहाँ बहुमंजिला इमारतों का निर्माण किया गया। अधिकाँश पशु-पक्षी बस्तियाँ छोड़कर भाग गए। इसका परिणाम यह हुआ कि मौसम-चक्र गड़बड़ा गया। गर्मियों में अधिक गर्मी पड़ने लगी। बेवक्त बरसातें होने लगीं। कभी तूफ़ान, कभी आंधियाँ, जलजले, सैलाब आने लगे। नए-नए रोग उत्पन्न होने लगे। कुल मिलाकर वातावरण प्रदूषित हो गया।

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