Aake Sapne ya doosaron ke Sapno Me aap आपके सपने या दूसरों के सपनों में आप By Avinash Ranjan Gupta


आपके सपने या दूसरों के सपनों में आप        
      आज के युग में जो भी कॉर्पोरेट जगत में, उद्योग संस्थाओं में, कंपनी में या फिर किसी दुकान में काम करता है उनके पास अपने साहब (Boss) से काफ़ी शिकायतें रहती हैं जिनमें से अधिकतर सही और कुछ गलत हो सकते हैं। बड़ी-बड़ी कंपनियाँ अपने को शीर्ष (Top) पर बनाए रखने के लिए तरह-तरह के उपाय करती हैं, जैसे- कर्मचारियों की कार्य दक्षता (Working Efficiency) को बढ़ाने के लिए कार्यशालाओं (Workshop) का आयोजन, प्रशिक्षण कार्यक्रम (Training Programme) वगैरह-वगैरह। इन कार्यक्रमों में उन्हें तनाव प्रबंधन (Stress Management), समय प्रबंधन (Time Management), उत्पादन में वृद्धि (High Production), प्रेरणास्पद घटनाएँ (Motivational Anecdotes), व्यक्तित्व विकास (Personality Development) आदि के बारे में विस्तार से बताया जाता है और फिर सीखी हुई तकनीकों को कंपनी के वृद्धि में नियोजित करना पड़ता है।
      आजकल लोग सपने देखने में भी कंजूसी करने लगे हैं। उनका सपना ज़्यादा से ज़्यादा पैसा कमाना है। पढ़े-लिखे नवयुवकों में यह चलन (Trend) तेज़ी से चल पड़ा है कि वे विज्ञान के आधुनिकतम (Latest) आविष्कारों को अपना बना लेना चाहते हैं। उनकी यह तलब (Wish) उन्हें उनकी असीम शक्तियों से कोसों दूर ले जाती है।  सीधी बात - सपने देखने वालों को दो श्रेणियों में बाँटा जा सकता है, पहले वे जो सपने देखते हैं, उसे पूरा करने की कोशिश करते हैं और एक-दो बार की असफलताओं के बाद तरीका न बदलकर लक्ष्य ही बदल लेते हैं। दूसरे वर्ग के लोग वे हैं जो सपने को हक़ीक़त में बदलने के लिए एड़ी-चोटी का ज़ोर लगा देते हैं। असफलताओं पर निराश न होकर फेलियर का पोस्टमॉर्टम करते हैं। ये नई-नई रणनीतियाँ (Strategy) बनाते हैं, उत्साहित होकर आगे बढ़ते हैं और देर-सबेर उन्हें सफलता मिल ही जाती है। सफलता का नशा चौगुनी गति से इनकी नसों में दौड़ने लगता है। अपनी सफलता को बहुमुखी रूप देने के लिए, उसका स्थायित्व (Permanence) बरकरार रखने के लिए अनेक योग्य प्रार्थियों (Candidates) की नियुक्ति (Appointment) करता है और उन सबको मेहनताना देकर अपने सपने को पूरा करने में नियोजित करता है।   
      न ही सीढ़ियों का, न ही सीढ़ियाँ बनानेवालों का ज़िक्र इतिहास के पन्नों पर मिलता है। इतिहास में तो केवल उन्हीं का ज़िक्र मिलता है जिन्होंने शिखर पर अपने पैरों को रखा है। एक दिन में 24 घंटे सफलता पाने के लिए बहुत कम है सफलता पाने के लिए आपको एक दिन में हज़ारों-लाखों घंटे चाहिए। इतिहास इस बात का प्रमाण है कि जिनके साथ जितने ज़्यादा लोग रहे वह उतना ही ज़्यादा प्रसिद्ध हुआ गांधीजी इसके ज्वलंत (Burning) उदाहरण हैं। ताजमहल बनाने वाले किसी एक मज़दूर का नाम भी इतिहास में नहीं मिलेगा पर शाहजहाँ जिसने एक पत्थर तक न उठाया वो अमर है।
      संभोग का सुख स्वयं के लिंग से ही प्राप्त किया जाता है। कामसूत्र पढ़कर केवल उत्तेजना आती है। अगर आप भी चाहते हैं कि आपके सपने पूरे हों तो उस समय तक डटे रहिए जब तक कि आपको आपका लक्ष्य न मिल जाए नहीं तो आप भी अपने आपको किसी दूसरे के सपने में पाएँगे।  

Comments