Mera Mahtaab By Avinash Ranjan Gupta


मेरा महताब  
मेरा महताब मेरी मंजिल है,
जो तू न हो तो मेरा
जीना बड़ा मुश्किल है।  
धोखे देता हूँ इसे कितनी दफा,   
पर मेरा दिल,
अब नहीं कोई नादाँ दिल है।    
मेरा महताब मेरी मंजिल है,
जो तू न हो तो मेरा
जीना बड़ा मुश्किल है।
देखता हूँ तेरी नज़रों को बड़ी शिद्दत से,
क्यों नहीं हम,      
तेरी नज़रों में शामिल हैं?
मेरा महताब मेरी मंजिल है,
जो तू न हो तो मेरा
जीना बड़ा मुश्किल है।
आए विपत्ति, मारकर  ठोकर,    
गौरव-गिरि पर चढ़ना है तुमको।  
धड़कनें जो सुनोगी तुम मेरी,
होगा एतबार,
ये मेरा दिल तो तेरे काबिल है।    
                                                        अविनाश रंजन गुप्ता

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