Vyakhya
गीत—अगीत
गीत, अगीत, कौन सुंदर है?
( 1 )
गाकर गीत विरह के तटिनी
वेगवती बहती जाती है,
दिल हलका कर लेने को
उपलों से कुछ कहती जाती है।
तट पर एक गुलाब सोचता,
“देते स्वर यदि मुझे विधाता,
अपने पतझर के सपनों का
मैं भी जग को गीत सुनाता।”
गा—गाकर बह रही निर्झरी,
पाटल मूक खड़ा तट पर है।
गीत, अगीत, कौन सुंदर है?
प्रस्तुत पंक्तियों के माध्यम से कवि यह जानने का प्रयास कर रहे हैं कि गीत और अगीत दोनों में से कौन सुंदर है? नदी जब बहती है तो अपने स्वरों से किनारों को अपनी विरह की पीड़ा कहती जाती है। उसी तट पर गुलाब यह सोचने लगता है कि अगर ईश्वर मुझे भी स्वरों का वरदान दिए होते तो मैं भी दुनिया को पतझड़ के दुख भरे दिनों की पीड़ा सुना पाता। ऐसे में अब यह जानना है कि गीत और अगीत दोनों में से कौन सुंदर है?
( 2 )
बैठा शुक उस घनी डाल पर
जो खोंते पर छाया देती।
पंख फुला नीचे खोंते में
शुकी बैठ अंडे है सेती।
गाता शुक जब किरण वसंती
छूती अंग पर्ण से छनकर।
किंतु, शुकी के गीत उमड़कर
रह जाते सनेह में सनकर।
गूँज रहा शुक का स्वर वन में,
फूला मग्न शुकी का पर है।
गीत, अगीत, कौन सुंदर है?
प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने मौन और प्रकटीकरण के अंतर को स्पष्ट करने के लिए तोते और तोती के व्यवहार को सामने रखते हुए कह रहे हैं कि शुक वृक्ष की उस घनी डाल पर बैठा है जिसकी छाया उसके घोंसले पर पड़ रही है। उसी घोंसले पर शुकी भी बैठी हुई है। वह अपने पंख फैलाकर अपने अंडों को से रही है। जब सूरज की बसंती किरणें पत्तों से छनकर आती हैं और शुक के अंगों को छूती है तो वह प्रसन्न होकर गीत गाने लगता है। शुक के गीत को सुनकर शुकी को भी गाने की इच्छा होती है परंतु उसके मन में उठने वाले गीत प्रेम और वात्सल्य में डूबकर रह जाते हैं। ऐसी स्थिति में दोनों दृश्य सुंदर लगते हैं पर अब यह जानना है कि गीत और अगीत दोनों में से कौन ज़्यादा सुंदर है?
(3)
दो प्रेमी हैं यहाँ, एक जब
बड़े साँझ आल्हा गाता है,
पहला स्वर उसकी राधा को
घर से यहाँ खींच लाता है।
चोरी—चोरी खड़ी नीम की
छाया में छिपकर सुनती है,
‘हुई न क्यों मैं कड़ी गीत की
बिधना’, यों मन में गुनती है।
वह गाता, पर किसी वेग से
फूल रहा इसका अंतर है।
गीत, अगीत, कौन सुंदर है?
प्रस्तुत पंक्तियों के माध्यम से कवि दो प्रेमियों के प्रेम का अंतर स्पष्ट करते हुए कह रहे हैं कि एक प्रेमी साँझ होते ही आल्हा-गीत गाने लगता है। ये आल्हा-गीत सुनकर उसकी प्रेमिका खिंची चली आती है और नीम की छाया में छिपकर गीत सुनकर मुग्ध हो जाती है। वह सोचने लगती है कि हे विधाता! मैं इस मधुर गीत की पंक्ति क्यों नहीं बन गई। उसका प्रेमी गीत गाता है तो दोनों का प्रेम प्रकट हो जाता है बस फ़र्क इतना है कि प्रेमी गीत गाकर अपने प्रेम को प्रकट कर देता है और उसकी प्रेमिका मौन रहकर अपने प्रेम को प्रकट करती है। अब यह जानना है कि गीत और अगीत दोनों में से कौन ज़्यादा सुंदर है?
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