Prashn 4

लिखित
(ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए-
1 - समाज के पास अगर शाश्वत मूल्यों जैसा कुछ है तो वह आदर्शवादी लोगों का ही दिया हुआ है।
2 - जब व्यावहारिकता का बखान होने लगता है तब ‘प्रैक्टिकल आइडियालिस्टों’ के जीवन से आदर्श धीरेधीरे पीछे हटने लगते हैं और उनकी व्यावहारिक सूझबूझ ही आगे आने लगती है।
3 - हमारे जीवन की रफ़् तार बढ़ गई है। यहाँ कोई चलता नहीं बल्कि दौड़ता है। कोई बोलता नहींबकता है। हम जब अकेले पड़ते हैं तब अपने आपसे लगातार बड़बड़ाते रहते हैं।
4 - सभी क्रियाएँ इतनी गरिमापूर्ण ढंग से कीं कि उसकी हर भंगिमा से लगता था मानो जयजयवंती के सुर गूँज रहे हों।

1.    उत्तर-  प्रस्तुत गद्यांश का आशय यह है कि आदर्शवादी लोग ही  समाज को बेहतर तथा स्थायी जीवन तथा  शाश्वत मूल्य देते हैं। वे बताते हैं कि लोगों के लिए जीने की कौन-कौन-सी राहें ठीक हैं जिससे समाज आदर्श रूप में रह सकता है।
2.    उत्तर- प्रस्तुत गद्यांश का आशय यह है कि व्यावहारिक आदर्शवाद वास्तव में  व्यावहारिकता ही है उसमें आदर्शवाद कहीं नहीं रहता। यदा-कदा  व्यावहारिकता ही सामने उभर आती है और केवल लाभ-हानि और अवसरवादिता का पर्याय गठित करती है।
3.    उत्तर- प्रस्तुत गद्यांश का आशय यह है कि जीवन की भाग-दौड़, व्यस्तता तथा आगे निकले की होड़ ने लोगों का सुख-चैन छीन लिया है। हर व्यक्ति अपने जीवन में अधिक पाने की होड़ में बेतहाशा भागा जा रहा है। इससे वे तनावग्रस्त होकर मानसिक रोग से पीड़ित हो रहे हैं। 
4.    उत्तर- प्रस्तुत गद्यांश का आशय अदब और नम्रता का सांगोपांग करना है। चाय देने वाले चाजीन ने सबसे पहले बड़े सलीके से कमर झुकाकर अतिथियों को प्रणाम किया फिर बैठने की जगह दिखाई, अँगीठी सुलगाई बर्तनों को तौलिये से साफ़  किया। ये सारी  क्रियाएँ उसने अत्यंत ही गरिमापूर्ण ढंग  से पूरी कीं। ऐसे वातावरण में आकर ऐसा लगता था मानो जयजयवंती के सुर गूँज रहे हों।



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