Prashn 4

लिखित
(ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए-
1 - नदी किनारे अंकित पदचिह्न और सींगों के चिह्नों से मानो महिषकुल के भारतीय युद्ध का पूरा इतिहास ही इस कर्दम लेख में लिखा हो ऐसा भास होता है।
2 - “आप वासुदेव की पूजा करते हैं इसलिए वसुदेव को तो नहीं पूजतेहीरे का भारी मूल्य देते हैं किंतु कोयले या पत्थर का नहीं देते और मोती को कंठ में बाँधकर फिरते हैं किंतु उसकी मातुश्री को गले में नहीं बाँधते!” कमसेकम इस विषय पर कवियों के साथ तो चर्चा न करना ही उत्तम!

1.    नदी के किनारे जब कीचड़ ज़्यादा सूखकर ठोस हो जाता है तब दो मदमस्त पाड़े अपने सींगों से कीचड़ को रौंदकर आपस में लड़ते हैं। वे सींग से सींग भिड़ाकर  लड़ते हैं जिससे कीचड़ खुद जाता है। तब नदी किनारे अंकित पदचिह्न और सींगों के चिह्नों से मानो महिषकुल के भारतीय युद्ध का पूरा इतिहास ही इस कर्दम लेख में लिखा हो -ऐसा प्रतीत होता है


2.    कवि पंक से उत्पन्न कमल की तो प्रशंसा करते हैं किन्तु पंक को महत्त्व नहीं देते। इन कवियों के मतानुसार एक अच्छी चीज़ को स्वीकार करने के लिए उससे जुड़ी अन्य चीजों को स्वीकार करना आवश्यक नहीं। वासुदेव कृष्ण को कहा जाता है लोग उनकी पूजा करते हैं इसका अर्थ यह नहीं कि वे कृष्ण के पिता वसुदेव की भी पूजा करें।  इसी प्रकार वे हीरे को मूल्यवान मानते हैं परंतु उसके जानक पत्थर और कोयले को नहीं पूछते। मोती को गले में डालते हैं परंतु मोती से जुड़ी सीप की कोई भूमिका उन्हें नहीं दिखती। कवियों के अपने तर्क होते हैं। उनसे इस विषय पर बहस करना व्यर्थ हैं। उन्हें जो अच्छा लगे वही ठीक है। ये अपने आगे किसी की नहीं सुनते।        

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