Prashn 3

लिखित
(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-
1. बढ़ती हुई आबादी का पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ा?
2. लेखक की पत्नी को खिड़की में जाली क्यों लगवानी पड़ी?
3. समुद्र के गुस्से की क्या वजह थीउसने अपना गुस्सा कैसे निकाला?
4. ‘मट्टी से मट्टी मिले,
खो के सभी निशान,
किसमें कितना कौन है,
कैसे हो पहचान
इन पंक्तियों के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहता हैस्पष्ट कीजिए।

1.        उत्तर- बढ़ती हुई आबादी का पर्यावरण पर यह दुष्प्रभाव पड़ा कि प्रकृति का संतुलन ही बिगड़ गया। बढ़ती हुई आबादी के जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रकृति को विभिन्न तरीकों से नष्ट किया जा रहा है। बड़े-बड़े बिल्डर समुद्र को पीछे धकेल रहे हैं। पेड़ों को रास्ते से हटाया जा रहा है। बड़ी-बड़ी इमारतों ने प्राकृतिक सुंदरता को नष्ट ही कर दिया है। अब गर्मी से अधिक गर्मी पड़ने लगी, बेवक्त बर्षा होने लगी, भूकंप, बाढ़, तूफ़ान आने लगे हैं। नाना प्रकार के रोगों का आविर्भाव हुआ है। पशु-पक्षी इधर-उधर भागने लगे। एक बार तो मुंबई में समंदर की लहरों पर तैरती तीन समुद्री जहाज़ों को समुद्र ने बच्चों की गेंद की तरह तीन दिशाओं में फेंक दिया।
2.        उत्तर- लेखक के घर में कबूतरों ने डेरा डाल रखा था। कबूतरों के बच्चे छोटे-छोटे थे जिसके कारण वे बार-बार आते-जाते रहते थे। इससे घर के लोगों को परेशानी होती थी। कभी-कभी वे चीज़ों को गिराकर तोड़ भी देते थे। इस रोज़-रोज़ की परेशानी से तंग आकर  लेखक की पत्नी ने खिड़की में जाली लगवा दी।
3.        उत्तर- समुद्र के गुस्से की वजह थी कि बड़े-बड़े बिल्डर उसकी सहन शक्ति को बार-बार ललकार रहे थे। बिल्डर निरंतर समुद्र को पीछे की ओर धकेल रहे थे और उसकी जगह हथिया रहे थे। समुद्र लगातार सिकुड़ता चला जा रहा था। पहले तो उसने अपनी टाँगे सिकोड़ीं फिर उकड़ूँ बैठ गया फिर खड़ा हो गया और जब खड़े होने की भी जगह नहीं रही तो क्रोधित होकर अपनी लहरों पर तैर रहे तीन समुद्री जहाज़ों को बच्चों की गेंद की तरह तीन दिशाओं में उछालकर फेंक दिया। एक जहाज़ वर्ली के समुद्र के किनारे जा गिरा दूसरा बांद्रा में कार्टर रोड के किनारे औंधे मुँह गिरा और तीसरा गेट-वे-ऑफ इंडिया के पास जाकर गिरा।  
4.        उत्तर- इन पंक्तियों के माध्यम से लेखक कहना चाहता है कि सभी प्राणियों में प्रकृति के ही पाँच तत्त्व मिले हुए हैं। इन्हीं पाँच तत्त्वों के समावेश से सभी प्राणी बने हुए हैं। हम सब की रचना इसी प्रकृति ने की है। प्रकृति के अनुसार सभी जीव समान हैं कोई भी छोटा-बड़ा नहीं है। मृत्यु के बाद सभी को इसी में मिल जाना है उसके बाद यह पता नहीं लगाया जा सकता कि किसमें कौन है और कितना है?

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