Prashn 3
लिखित
(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-
1 - किसी कील—वील से उँगली छील ली होगी - ऐसा ओचुमेलॉव ने क्यों कहा?
2 - ओचुमेलॉव के चरित्र की विशेषताओं को अपने शब्दों में लिखिए।
3 - यह जानने के बाद कि कुत्ता जनरल साहब के भाई का है - ओचुमेलॉव के विचारों में क्या परिवर्तन आया और क्यों?
4 - ख्यूक्रिन का यह कथन कि ‘मेरा एक भाई भी पुलिस में है - - - - ।’ समाज की किस वास्तविकता की ओर संकेत करता है?
5 - इस कहानी का शीर्षक ‘गिरगिट’ क्यों रखा होगा? क्या आप इस कहानी के लिए कोई अन्य शीर्षक सुझा सकते हैं? अपने शीर्षक का आधार भी स्पष्ट कीजिए।
6 - ‘गिरगिट’ कहानी के माध्यम से समाज की किन विसंगतियों पर व्यंग्य किया गया है? क्या आप ऐसी विसंगतियाँ अपने समाज में भी देखते हैं? स्पष्ट कीजिए।
1. उत्तर- इंस्पेक्टर ओचुमेलॉव को जब पता चला कि यह कुत्ता जनरल साहब का है तो उसने अपना रुख ही बदल लिया और ख्यूक्रिन को डराने व दबाने की कोशिश करने लगा। वह कुत्ते का पक्ष लेकर बोलने लगा कि ख्यूक्रिन की उँगली में कोई कील लग गई होगी और वह कुत्ते के सिर पर इलज़ाम मढ़कर उसके मालिक से रुपए ऐंठना चाहता है।
2. उत्तर- ओचुमेलॉव अत्यंत चालाक, स्वार्थी, अवसरवादी, बातूनी तथा मक्कार व्यक्ति था। वह लोगों से जबरन चीज़ें ऐंठता था। कुत्ते के मालिक के बारे में जानकर वह कुत्ते की तारीफ़ करने लगा। वह अपने लाभ के लिए किसी के साथ भी अन्याय कर सकता है, पाठ में जैसे उसने ख्यूक्रिन के साथ किया। उसे अपने पद का लाभ उठाना बखूबी आता है।
3. उत्तर- ओचुमेलॉव को जैसे ही पता चला कि कुत्ता जनरल साहब के भाई का है, उसके विचार पूरी तरह से बदल गए। जिस कुत्ते को भद्दा, मरियल, आवारा तथा गोली मारने के लायक कह चुका था, उसी कुत्ते को उसने सुंदर और प्यारा कहा। उसने अपनी बात बदली क्योंकि वह जानता था कि वह जो भी बात करेगा जनरल साहब के भाई तक अवश्य पहुँचेगी, जिससे उसका फायदा होगा।
4. उत्तर- ख्यूक्रिन का यह कथन कई तथ्य उजागर करता है। वह यह बताकर इंस्पेक्टर पर दबाव बनाना चाहता था कि यदि उसके साथ न्याय न किया गया तो वह भी अपने भाई के माध्यम से आवाज़ उठाएगा। यह कथन शासन व्यवस्था में भाई-भतीजावाद, पक्षपात, रिश्वतख़ोरी आदि कई सच्चाइयों को भी प्रकट करता है। पुलिस में जान-पहचान के बल पर किस प्रकार लाभ उठाया जाता है, अपना काम जल्दी करवाया जाता है, ये तमाम बातें इस कथन से उभरकर आती हैं।
5. उत्तर- गिरगिट अपनी सुरक्षा के लिए आस-पास के वातावरण के अनुसार ही रंग बदलता रहता है। इस कहानी में इंस्पेक्टर अपनी सामाजिक स्वार्थों की पूर्ति की लिए अपने बयान एवं दलीलें पल-पल बदलता रहता है। इस कहानी के तथ्य एवं कथ्य के अनुसार कहानी का शीर्षक सटीक और रोचक है।
इस कहानी का और एक नाम ‘चापलूसी की चरमसीमा’ रखा जा सकता है क्योंकि ओचुमेलाव यदा-कदा चापलूसी भरी बातें कहकर जनरल साहब को अप्रत्यक्ष रूप से प्रसन्न करना चाहता है।
6. उत्तर- गिरगिट कहानी के माध्यम से प्रशासन व्यवस्था में निहित खामियों के साथ-साथ मानवीय चरित्र की विसंगतियों पर भी प्रकाश डाला गया है। शासन संभालने वाले अपने स्वार्थों की पूर्ति की लिए आम जनता के साथ अन्याय करते हैं। कमजोरों की सुनने वाला कोई नहीं होता। अधिकारी वर्ग केवल अपना ऊल्लू सीधा करने में लगे रहते हैं जिससे सम्पूर्ण प्रशासन व्यवस्था में पक्षपात और वर्गवाद तेज़ी से पनपने लगा है। आज हमारे प्रशासन व्यवस्था में भी भ्रष्टाचार, रिश्वतख़ोरी, भाई-भतीजावाद, अवसरवादिता देखने को मिलती हैं। इसका एकमात्र कारण प्रशासन व्यवस्था में ओचुमेलॉव जैसे मक्कार लोगों का होना है। परिणामस्वरूप आदर्शों पर चलने वाले व्यक्तियों को कदम-कदम पर मुसीबतों का सामना करना पड़ता है और अंत में आदर्श और नैतिकता की बातें किताबों तक ही सीमित रह जाती हैं और प्रतिदिन के जीवन में इनका कोई महत्त्व शेष नहीं रह जाता।
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