Prashn 3
3 -इस कविता का केंद्रीय भाव अपने शब्दों में लिखिए।
1. यह कविता छुआछूत की समस्या पर केंद्रित है। एक मरणासन्न अछूत कन्या का बाल मस्तिष्क यह मान बैठता है कि अगर उसे देवी माँ के चरणों का एक फूल मिल जाए तो वह ठीक हो सकती है। देवी माँ के चरणों का एक फूल पाना ही मानो उसकी अंतिम इच्छा बन चुकी हो। वह अपनी इसी इच्छा को अपने पिता के सामने प्रकट कर देती है। वत्सल प्रेमातुर होकर सुखिया के पिता मंदिर में प्रवेश कर जाते हैं। उन्हें माता के चरणों का एक फूल भी मिल जाता है कि इसी बीच कोई उन्हें पहचान लेता है और उन पर यह आरोप लगाया जाता है कि उनके इस कृत्य से मंदिर की पवित्रता और देवी माँ का घोर अपमान हुआ है। इसी बिनाह पर न्यायालय से उन्हें सात दिनों के कारावास की सज़ा मिलती है। सज़ा भोगकर जब वे आते हैं तब तक उनके सगे-संबंधी उनकी मृत बेटी का दाह संस्कार कर चुके होते हैं। यह कविता उस समय के समाज में व्याप्त छुआछूत, वर्ण-व्यवस्था का सजीव चित्र अंकित करती है। आज के समाज में भी छुआछूत, वर्ण-व्यवस्था और निर्धनता जैसे सामाजिक रोग पूर्ण रूप से निर्मूल नहीं हो पाए हैं। इस कविता के माध्यम से कवि हमें यही संदेश देना चाहते हैं कि मानव मानव है उसे धर्म,वर्ण, आर्थिक, सामाजिक स्तर पर नहीं तौलना चाहिए।
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