prashn 2
लिखित
(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-
1. अरब में लशकर को नूह के नाम से क्यों याद करते हैं?
2. लेखक की माँ किस समय पेड़ों के पत्ते तोड़ने के लिए मना करती थीं और क्यों?
3. प्रकृति में आए असंतुलन का क्या परिणाम हुआ?
4. लेखक की माँ ने पूरे दिन का रोज़ा क्यों रखा?
5. लेखक ने ग्वालियर से बंबई तक किन बदलावों को महसूस किया? पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
6. ‘डेरा डालने’ से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
7. शेख अयाज़ के पिता अपने बाजू पर काला च्योंटा रेंगता देख भोजन छोड़ कर क्यों उठ खड़े हुए?
1. उत्तर- बाइबिल और दूसरे पावन ग्रन्थों में नूह नामक पैंगंबर का जिक्र मिलता है, उनका असली नाम लशकर था। अरब में उन्हें नूह के लकब से याद किया जाता है क्योंकि उनहोंने एक बार कुत्ते को दुत्कारते हुए कहा था, “दूर हो जा, गंदे कुत्ते। ” कुत्ते ने दुत्कार सुनकर जवाब दिया न मैं अपनी मर्जी से कुत्ता हूँ और न तुम अपनी मर्जी से इन्सान, बनानेवाला सबका तो एक ही है। यह सुन वे बहुत दुखी हुए और मुद्दत तक रोते रहे इसलिए उन्हें अरब में लशकर को नूह के नाम से याद करते हैं।
2. उत्तर- लेखक की माँ शाम के समय पेड़ों के पत्ते तोड़ने से मना करती थीं। उनका मानना था कि इससे पेड़ों को दुख पहुँचता है और वे रोते हैं। मानव धर्म तो यही कहता है कि कभी भी किसी भी सूरत में किसी को दुख न पहुँचाया जाए।
3. उत्तर- प्रकृति में आए असंतुलन का यह परिणाम हुआ कि गर्मी से अधिक गर्मी पड़ने लगी, बेवक्त बर्षा होने लगी, भूकंप, बाढ़, तूफ़ान आने लगे हैं। नाना प्रकार के रोगों का आविर्भाव हुआ है। पशु-पक्षी इधर-उधर भागने लगे। एक बार तो मुंबई में समंदर की लहरों पर तैरती तीन समुद्री जहाज़ों को समुद्र ने बच्चों की गेंद की तरह तीन दिशाओं में फेंक दिया।
4. उत्तर- लेखक की माँ ने पूरे दिन रोज़ा रखा क्योंकि उनके हाथ से कबूतर के घोंसले का एक अंडा टूट गया था। हालाँकि, वह कबूतर के अंडे को बचाने की कोशिश कर रही थीं पर दुर्भाग्यवश अंडा टूट गया। इसके लिए माँ ने खुद को दोषी ठहराया और प्रायश्चित स्वरूप एक दिन का रोज़ा रखा और खुदा से अपनी गलती को माफ करने की दुआ माँगती रही।
5. उत्तर- लेखक का ग्वालियर में खुला और बड़ा मकान था। उस समय लोगों के हृदय में पशु-पक्षियों के प्रति अथाह प्रेम हुआ करता था। वे उनके दुख से दुखी हो जाया करते थे। फिर वे मुंबई के वर्सोवा इलाके में आकार बस गए। यहाँ भी पहले दूर तक घना जंगल था पर अब यहाँ जंगल नहीं रहा। समुद्र के किनारे लंबी-चौड़ी बस्ती बन गई है। अब यहाँ पशु-पक्षियों का नामों-निशाँ तक नहीं रहा। पेड़ भी धीरे-धीरे गायब हो गए हैं।
6. उत्तर- ‘डेरा डालने’ से हम समझते हैं कि किसी भी प्राणी द्वारा जीवन-अनुकूल स्थान पर कब्ज़ा करके उसे अपना स्थायी या अस्थायी निवास बना लेना। प्राय: बंजारे या ख़ानाबदोश जातियाँ डेरा डालकर रहते हैं। कहीं-कहीं पक्षी भी किसी अनुकूल जगह पर घोंसला बना लेती हैं। ये भी ‘डेरा डालने’ का उदाहरण है।
7. उत्तर- शेख आयाज़ के पिता अपने बाजू पर काला च्योंटा रेंगता देख भोजन छोड़ कर उठ खड़े हुए क्योंकि उन्हें लगा कि उन्होंने एक च्योंटे को बेघर कर दिया है। च्योंटे का घर कुएँ के पास था ; अत: वे उसे उसके घर तक छोड़ने के लिए चल दिए।
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