Prashn 2
(ख) निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए -
1. साँस थमती गई, नब्ज़ जमती गई
फिर भी बढ़ते कदम को न रुकने दिया
2. खींच दो अपने खूँ से ज़मीं पर लकीर
तरफ़ आने पाए न रावन कोई
3. छू न पाए सीता का दामन कोई
राम भी तुम, तुम्हीं लक्ष्मण साथियो
1. प्रस्तुत पंक्तियों में देश के लिए अपना घर छोड़कर युद्ध के लिए गए सैनिकों के भावनाओं का वर्णन हैं। सैनिक कहते हैं की हे देशवासियों! हमने तो देश के लिए अपना तन, मन और जीवन न्योछावर कर दिया है अब यह देश तुम्हारे हवाले है। दुश्मनों से युद्ध करते समय हम घायल हो गए थे। हमारी सांसें रुकने कगी थीं तथा नाड़ियों में रक्त भी जमने लगा था। फिर भी हमने अपने कदमों को रुकने नहीं दिया। हमारे मन में केवल एक ही प्रतिज्ञा थी की चाहे हमारे सिर ही क्यों न कट जाए, पर हम देश का सिर नहीं झुकने देंगे।
2. प्रस्तुत पंक्तियों में देश के लिए युद्ध पर गए सैनिक को कवि कहते हैं सैनिक देश के लिए मरने को तैयार हैं। यदि शत्रु हमारी पवित्र मातृभूमि पर कदम रखने का दुस्साहस करे तो अपने रक्त से जमीन पर रेखा खींच दो अर्थात अपना जीवन बलिदान कर कर भी शत्रु को न आने दो।
3. प्रस्तुत पंक्तियों में देश के लिए युद्ध पर गए सैनिक को कवि कहते हैं हमारी सीता-सी पावन धरती के लिए तुम्हीं राम व लक्ष्मण हो। इस तरफ़ रावण रूपी किसी भी शत्रु को नहीं आने देना है। मातृभूमि कि रक्षा के लिए हम अपना सर्वस्व लुटा देने को तैयार हैं और हमारे बाद इस देश की सुरक्षा कि ज़िम्मेदारी तुम्हारे हाथों में होगी।
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