Prashn 2
(ख) निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए -
1. है टूट पड़ा भू पर अंबर।
2. - यों जलद—यान में विचर—विचर
था इंद्र खेलता इंद्रजाल।
3. गिरिवर के उर से उठ—उठ कर
उच्चाकांक्षाओं से तरुवर
हैं झाँक रहे नीरव नभ पर
अनिमेष, अटल, कुछ चिंतापर।
क. कवि कहते हैं कि बादलों के अचानक छा जाने पर पहाड़ अदृश्य हो जाते हैं ऐसे दृश्य को देख कर ऐसा लगता है मानो पहाड़ों पर आकाश ही टूट कर गिर गया हो।
ख. कवि कहते हैं कि बादलों को देखने से ऐसा लगता है, मानो बादलों ने किसी को ढक रखा है तभी अचानक बादल छँट जाते हैं। सूर्य के प्रकट होने से आकाश में बड़ा-सा इंद्रधनुष दिखाई देता है, मानो इंद्र बादल रूपी विमान में घूम-घूम कर अपनी जादूगरी की माया का प्रदर्शन कर रहे हों।
ग. कवि कहते हैं कि पर्वतों के हृदय पर बड़े-बड़े वृक्ष सुशोभित हैं। लगता है, मानो ये पर्वतों की ऊपर उठाने की कामनाएँ हैं। ये वृक्ष शांत आकाश की ओर एकटक देखते हुए अत्यंत चिंतातुर से प्रतीत होते हैं।
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