Prashn 2

2 -संदर्भसहित व्याख्या कीजिए -
(क)    अपने पतझर के सपनों का
          मैं भी जग को गीत सुनाता
(ख)    गाता शुक जब किरण वसंती
          छूती अंग पर्ण से छनकर
(ग)     हुई न क्यों मैं कड़ी गीत की
          बिधना यों मन में गुनती है
1.     प्रस्तुत पंक्तियों का आशय यह है कि नदी के तट पर खड़ा गुलाब यह सोचता है कि उसके अंदर भी कोमल भावनाएँ हैं। वो भी जग को अपने पतझड़ के मौसम का दुख दूसरों को सुनाना चाहता है परंतु ईश्वर ने उसे स्वर ही नहीं दिया है। 
2.     प्रस्तुत पंक्तियों के माध्यम से कवि कह रहे हैं की जब सूरज की बसंती किरणें शुक के अंग को छूती हैं तो आनंदमग्न होकर मधुर ध्वनि में गीत गाने लगता है। । 
3.     प्रेमी का गाया हुआ आल्हा-गीत सुनकर प्रेमिका का उर फुलने लगता है। तभी वह सोचती है कि हे विधाता! मैं इस गीत की कड़ी क्यों न हुई?  प्रेमी का गाया हुआ आल्हा-गीत सुनकर प्रेमिका के हृदय में भी प्रेम उमड़ने लगता है परंतु वह गा नहीं पाती।



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