Prashn 2
लिखित
(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-
1. छोटे भाई ने अपनी पढ़ाई का टाइम—टेबिल बनाते समय क्या—क्या सोचा और फिर उसका पालन क्यों नहीं कर पाया?
2. एक दिन जब गुल्ली—डंडा खेलने के बाद छोटा भाई बड़े भाई साहब के सामने पहुँचा तो उनकी क्या प्रतिक्रिया हुई?
3. बड़े भाई साहब को अपने मन की इच्छाएँ क्यों दबानी पड़ती थीं?
4. बड़े भाई साहब छोटे भाई को क्या सलाह देते थे और क्यों?
5. छोटे भाई ने बड़े भाई साहब के नरम व्यवहार का क्या फ़ायदा उठाया?
1. छोटे भाई ने प्रातः 6 से 9 बजे तक तीन विषय पढ़ने का निश्चय किया था। स्कूल से लौटकर आधा घंटा विश्राम के उपरांत रात ग्यारह बजे तक अन्य विषय पढ़ने का टाइम-टेबल बनाया था। इसमें केवल उसने घूमने के लिए आधे घंटे का समय निर्धारित किया था। परंतु मैदान की हरियाली, हवा के झोंके, खेल की उछल-कूद का मोह ने उसे टाइम-टेबल का पालन करने नहीं दिया।
2. कई दिनों तक डाँट न पड़ने के कारण छोटा भाई स्वछंद होकर गिल्ली-डंडा खेलने लगा तो बड़े भाई ने क्रोधित होकर उसे लताड़ते हुए कहा कि अव्वल आने पर तुम्हें घमंड हो गया है लेकिन घमंड तो रावण का भी नहीं रहा। अभिमान का अंत विनाश ही होता है।
3. बड़े भाई साहब भले ही बड़े हो मगर उनमें भी लड़कपन था। वे भी खेलना-कूदना और पतंग उड़ाना चाहते थे। लेकिन आदर्श बड़ा भाई बनने की आशा में वे खेल नहीं पाते थे। उनका मानना था कि यदि वे ही सही रास्ते पर नहीं चलेंगे तो छोटे को ठीक कैसे रख पाएँगे।
4. बड़े भाई साहब छोटे भाई को सदा परिश्रम करने की सलाह देते थे। वे कहते थे कि यूँ गिल्ली-डंडा, फुटबॉल, पतंग उड़ाना तथा भाग-दौड़ करके समय बर्बाद करना ठीक नहीं है। ऐसे तुम कभी भी परीक्षा में पास नहीं हो पाओगे। इस तरह दादा की मेहनत की कमाई गँवाना अनुचित है। बड़े भाई साहब छोटे भाई को हमेशा सही रास्ता दिखाते थे क्योंकि वे अपने छोटे भाई की सफलता देखना चाहते थे।
5. छोटे भाई ने बड़े भाई साहब के नरम व्यवहार का भरपूर फ़ायदा उठाया। उसने पढ़ना लिखना बिलकुल छोड़ दिया और खेलने कूदने की साथ साथ पतंगें भी उड़ाने लगा।
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