Prashn 2

2 -  निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए -
(क) टूटे से फिर ना मिलेमिले गाँठ परि जाय।
(ख) सुनि अठिलैहैं लोग सबबाँटि न लैहैं कोय।
(ग) रहिमन मूलहिं सींचिबोफूलै फलै अघाय।
(घ) दीरघ दोहा अरथ केआखर थोरे आहिं।
(ङ) नाद रीझि तन देत मृगनर धन हेत समेत।
(च) जहाँ काम आवे सुईकहा करे तरवारि।
(छ) पानी गए न ऊबरैमोतीमानुषचून।
1.  प्रस्तुत पंक्तियों का आशय यह है कि प्रेम का संबंध एक बार टूटने से वह फिर नहीं जुड़ता है और अगर जुड़ भी जाए तो  कभी भी पहले जैसा मधुर नहीं हो पाता।
2.  प्रस्तुत पंक्तियों के माध्यम से रहीम हमें यह बता रहे हैं कि हमें कभी भी अपना दुख दूसरों को नहीं बताना चाहिए। ऐसा करने पर एक तो उन्हें हमारी कमजोरी का पता चल जाएगा और दूसरा वे हमारा मज़ाक भी बनाएँगे। 
3.  प्रस्तुत पंक्तियों में रहीम हमें जीवनोपयोगी उपदेश देते हुए कह रहे हैं कि हमें अपने जीवन का एक लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए और उस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए दिन-रात एक कर देना चाहिए। ऐसा करने से हमें सफलता अवश्य मिलेगी। 
4.  प्रस्तुत पंक्तियों में रहीम कह रहें हैं कि दोहे में शब्द भले ही थोड़े हो मगर उनके अर्थ बड़े और विशेष होते हैं जिन्हें हमें समयानुसार अपने प्रतिदिन के जीवन में उतारना चाहिए।
5.  प्रस्तुत पंक्तियों का आशय यह है कि संगीत पर मोहित होकर हिरण अपने प्राण तक न्योछावर कर देती है और संगीत की महानता और गहराइयों को समझने वाला प्रेमी हृदय अपने आपको धन सहित समर्पित कर देता है।  
6.  प्रस्तुत पंक्तियों के माध्यम से रहीम हमें यह बता रहे हैं कि हमें सभी को समान दृष्टि से देखना चाहिए। अपनी-अपनी जगह पर सबकी उपयोगिता बनी हुई है जैसे जहाँ हमें सुई की आवश्यकता होगी वहाँ तलवार का प्रयोग नहीं किया जा सकता।  
7.  प्रस्तुत पंक्तियों में रहीम हमें जीवनोपयोगी उपदेश देते हुए कह रहे हैं कि हमें अपनी प्रतिष्ठा को सदैव बनाए रखना चाहिए। यह प्रतिष्ठा उस जल की तरह होती है जो एक बार नीचे गिर जाने के बाद नहीं उठ सकती।  

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