Prashn 1

1 -निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए -
1 - पहले पद में मीरा ने हरि से अपनी पीड़ा हरने की विनती किस प्रकार की है?
2 - दूसरे पद में मीराबाई श्याम की चाकरी क्यों करना चाहती हैंस्पष्ट कीजिए।
3 - मीराबाई ने श्रीकृष्ण के रूपसौंदर्य का वर्णन कैसे किया है?
4 - मीराबाई की भाषा शैली पर प्रकाश डालिए।
5 - वे श्रीकृष्ण को पाने के लिए क्याक्या कार्य करने को तैयार हैं?

1.    मीरा ने अपने हरि से निवेदन किया है कि उन्होंने सदा ही अपने भक्तों के दुखों को दूर किया है। मीरा ने तरह-तरह के उदाहरणों को प्रस्तुत किया है जब ईश्वर ने भक्तों की खातिर आश्चर्यजनक रूप से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से उनकी मदद कर उनकी रक्षा की है।    
2.  दूसरे पद में मीराबाई श्याम की चाकरी करना चाहती है क्योंकि इससे वे अपने ईश्वर की सेवा के साथ-साथ उनके दर्शन व भक्तिभाव का लाभ भी सतत प्राप्त करते रहेंगी।
3.  मीराबाई कहती हैं कि उनके प्रभु श्याम सलोने हैं। उन्होंने पीले वस्त्र पहने हैं तथा माथे पर मोर का पंख मुकुट की भाँति सजा रखा है। गले में फूलों की माला सुशोभित है और होंठों पर अमृत वर्षा करने वाली मुरली उनकी सुंदरता में चार चाँद लगा रहे हैं।     
4.  मीरा ने मेवाड़ी भाषा में अपने पदों की रचना की है। इनके पदों में राजस्थानी भाषा का सहज व सरस रूप उभरकर आता है। इनके पदों में बीच-बीच में गुजराती के कुछ शब्द भी आए हैं। इनकी भाषा आलंकारिकभावमयचित्रात्मकतुकांत और प्रभावशाली है जो कोमल भावनाओं की मार्मिक अभिव्यक्ति के लिए अद्वितीय है।     
5.  मीराबाई श्रीकृष्ण को पाने के लिए उनकी  चाकर बनने को तैयार हैं। वे  श्रीकृष्ण के लिए बाग लगाना चाहती हैं ताकि जब श्रीकृष्ण वहाँ घूमने आएँ तो वे उनके दर्शन पा सकें। वह वृंदावन की गलियों में संन्यासिन बन कर श्रीकृष्ण का लीलगायन करने को भी उत्सुक हैं। वह यमुना के तीर पर कुसुंबी साड़ी पहनकर श्रीकृष्ण की प्रतीक्षा में रात्रि जागरण करने को भी तैयार है।   

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