Prashn 1
1 -निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए -
(क) कवि ने ‘अग्नि पथ’ किसके प्रतीक स्वरूप प्रयोग किया है?
(ख) ‘माँग मत’, ‘कर शपथ’, ‘लथपथ’ इन शब्दों का बार—बार प्रयोग कर कवि क्या कहना चाहता है?
(ग) ‘एक पत्र - छाँह भी माँग मत’ इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
1. ‘अग्निपथ’ का अर्थ है- आग से घिरा हुआ रास्ता। जिसका लक्षणार्थ है कठिनाइयों से भरा हुआ रास्ता। कवि ने इसे संघर्षमयी जीवन के रूप में प्रस्तुत किया है। कवि का मानना है कि यह दुनिया केवल किसी एक आदमी के लिए नहीं बनी है। इस दुनिया में सभी अपने जीवन के अभीष्ट लक्ष्य को प्राप्त करना चाहते हैं जो आसान नहीं है। ऐसे में व्यक्ति को अपना लक्ष्य प्राप्त करने के लिए एड़ी-चोटी का ज़ोर लगाना पड़ता है अर्थात उसे अग्निपथ पर चलना होता है।
2. ‘माँग मत’, ‘कर शपथ’, ‘लथपथ’ इन शब्दों का बार—बार प्रयोग कर कवि कहना चाहते हैं कि सफलता दो प्रकार से प्राप्त की जा सकती हैं, एक तो अपने दम पर और दूसरा बड़े लोगों की चापलूसी कर कर। निस्संदेह कवि हमें पहले वाले रास्ते पर ही चलने का संदेश दे रहे हैं क्योंकि जब हम अपना लक्ष्य प्राप्त कर लेंगे तो सिर उठाकर और निर्भीक होकर अपनी सफलता की कहानी से दूसरे बंदों को प्रेरित कर सकेंगे जोकि दूसरे वाले रास्ते से कभी भी संभव नहीं हो सकेगा।और जब आपकी सफलता का इतिहास लिपिबद्ध किया जाएगा तो उसमें केवल आपकी ही मेहनत का वर्णन रहेगा।
3. ‘एक पत्र - छाँह भी माँग मत’ इस पंक्ति का आशय कवि की दृष्टि से यह है कि अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हमें दूसरों की मदद नहीं लेनी चाहिए। कवि को सांसरिक अनुभव बहुत ही है। वे अच्छी तरह से जानते हैं कि इस दुनिया में लोग बड़े ही मौकापरस्त हैं। आपकी छोटी-सी मदद करने के बाद हर जगह यही ढोल पीटते रहेंगे कि आपकी सफलता के पीछे उनका बहुत बड़ा हाथ है।
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