Prashn 1
बोध—प्रश्न
1. कथावाचक और हरिहर काका के बीच क्या संबंध है और इसके क्या कारण हैं?
2. हरिहर काका को मंहत और अपने भाई एक ही श्रेणी के क्यों लगने लगे?
3. ठाकुरबारी के प्रति गाँव वालों के मन में अपार श्रद्धा के जो भाव हैं उससे उनकी किस मनोवृत्ति का पता चलता है?
4. अनपढ़ होते हुए भी हरिहर काका दुनिया की बेहतर समझ रखते हैं? कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
5. हरिहर काका को जबरन उठा ले जाने वाले कौन थे? उन्होंने उनके साथ कैसा बर्ताव किया?
6. हरिहर काका के मामले में गाँव वालों की क्या राय थी और उसके क्या कारण थे?
7. कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि लेखक ने यह क्यों कहा, “अज्ञान की स्थिति में ही मनुष्य मृत्यु से डरते हैं। ज्ञान होने के बाद तो आदमी आवश्यकता पड़ने पर मृत्यु को वरण करने के लिए तैयार हो जाता है।”
8. समाज में रिश्तों की क्या अहमियत है? इस विषय पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
9. यदि आपके आसपास हरिहर काका जैसी हालत में कोई हो तो आप उसकी किस प्रकार मदद करेंगे?
10. हरिहर काका के गाँव में यदि मीडिया की पहुँच होती तो उनकी क्या स्थिति होती? अपने शब्दों में लिखिए।
1. कथावाचक हरिहर काका के साथ बहुत गहरे रूप से जुड़े हुए हैं । हरिहर काका के प्रति उनकी आसक्ति के दो प्रमुख कारण हैं-
क. हरिहर काका उनके पड़ोस में रहते हैं।
ख. हरिहर काका बचपन में उन्हें बहुत दुलार करते थे, कंधे पर उठाकर घुमाया करते थे। हरिहर काका ने उन्हें पिता से भी बढ़कर प्यार दिया था।
2. हरिहर काका को मंहत और अपने भाई एक ही श्रेणी के लगने लगे क्योंकि दोनों उनके खेतों को हड़पना चाहते थे। महंत ने उनकी ज़मीन ठाकुरबारी के नाम करवाने के लिए उनके साथ दुर्व्यवहार किया तो दूसरी तरफ़ उनके अपने भाइयों ने उनके साथ दुश्मनों से भी बुरा व्यवहार किया।
3. ठाकुरबारी गाँव का एक प्रमुख स्थान है। ठाकुरबारी के प्रति गाँव वालों के मन में अपार श्रद्धा के जो भाव हैं उससे उनकी धार्मिक मनोवृत्ति का पता चलता है। वे ठाकुरबारी को अपने जीवन का अभिन्न अंग मानते हैं।
4. अनपढ़ होते हुए भी हरिहर काका दुनिया की बेहतर समझ रखते हैं। यद्यपि उन्होंने दो विवाह किए था परंतु संतान सुख किसी से नहीं मिल पाया। वे अपने भाइयों के साथ रहने लगे थे। उनके नाम पर 15 बीघे ज़मीन थी जिस पर महंत और उनके भाइयों की कुदृष्टि थी यह उन्हें भली-भाँति पता था। इसलिए उन्होंने जीते जी किसी को ज़मीन न लिखने का निश्चय किया था। उन्हें पता था कि जब तक ज़मीन उनके पास है तब तक उनका मान-सम्मान बना हुआ रहेगा पर जैसे ही ज़मीन उनके हाथ से निकल गई तो कोई उन्हें पूछेगा तक नहीं।
5. हरिहर काका को जबरन उठा ले जाने वाले महंत द्वारा भेजे गए ठाकुरबारी के साधु-संत थे। वे भाला, गंडासा तथा बंदूक से लैस होकर आए थे। वे हरिहर काका के दालान पर आ धमके और उन्हें अपनी पीठ पर लाद कर चंपत हो गए। उन्होंने उनके साथ बहुत बुरा बर्ताव किया। जबरन उनके अँगूठे के निशान सादे तथा कुछ लिखे कागज़ों पर ले लिए। इसके बाद हरिहर काका के हाथ पैर बाँध दिए और उनके मुँह में कपड़ा ठूँस दिया ताकि वे चिल्ला न सकें।
6. हरिहर काका के मामले में गाँव वाले दो वर्गों में बँट गए थे। एक वर्ग महंत के कृत्य की कटु आलोचना करता वे मानते कि अब साधुओं और डाकुओं में कोई अंतर नहीं रह गया है। ठाकुरबारी की पवित्रता नष्ट हो गई है तो दूसरा वर्ग यह कहकर महंत के कृत्य को सही ठहराने की कोशिश करता कि धर्म, परमार्थ और विकास के कामों में कभी-कभी चोर-डाकू का भी रूप धारण करना पड़ता है।
एक वर्ग के लोग यह चाहते हैं कि हरिहर काका को अपनी ज़मीन ठाकुरबारी के नाम कर देनी चाहिए क्योंकि यह धर्म का काम है। और इसके बाद यह ठाकुरबारी राज्य की सबसे बड़ी ठाकुरबारी हो जाएगी। दूसरे वर्ग में गाँव के प्रगतिशील विचारों वाले लोग हैं तथा वैसे किसान हैं जो अपना मत हरिहर काका के पक्ष में रखते हैं।
7. जब तक व्यक्ति अज्ञान की स्थिति में रहता है तब तक उसे मृत्यु से डर लगता है। धर्म के ठेकेदार भी उनको मृत्यु का भय दिखाकर उनका शोषण करते हैं। परंतु जब मनुष्य को ज्ञान हो जाता है तो वह मृत्यु का वरन करने के लिए भी तैयार हो जाता है। वास्तव में डर मौत का नहीं जीवन का होता है। मौत तो आनी ही है यह जीवन का सबसे बड़ा सत्य है। यह कथन लेखक ने हरिहर काका के लिए कहा है। पहले वे मौत के डर से डर जाते थे। परंतु अब उन्होंने सोच लिया है कि ये सब उसे एक ही बार मार दे तो ठीक रहेगा। वे अपनी ज़मीन दूसरों के नाम लिख कर घुट-घुट कर नहीं मरना चाहते। उन्हें रमेसर की विधवा की दशा से पूरी सच्चाई का भान हो गया था।
8. समाज में रिश्तों की बहुत अहमियत है, पर यह सब समझने वालों के लिए हैं। आज के भौतिकवादी संसार में रिश्ते-नाते स्वार्थ की बलिवेदी में भष्म हो चुके हैं। ऐसा लगता है कि रिश्तों में आर्थिक दृष्टिकोण का समावेश हो गया है। आज के दौर में केवल उस व्यक्ति का आदर सम्मान होता है जिसके पास पर्याप्त चल-अचल संपत्ति होती है। धन-संपत्ति के आगे रिश्ते-नाते ठहर नहीं पाते। परंतु समाज में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो आज भी रिश्ते-नाते को धन-संपत्ति से बढ़कर मानते हैं।
9. स्वयं करें
10. हरिहर काका के गाँव में यदि मीडिया की पहुँच होती तो उन्हें इतनी यंत्रणाएँ नहीं भोगनी पड़ती। उनके साथ हुई घटना राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर तक आम हो जाती जिससे पुलिस और प्रशासन पर दबाव पड़ता और वे हरिहर काका के पक्ष में उचित कार्रवाई करते। ऐसा भो हो सकता था कि बहुत सारे गैर सरकारी संस्थाएं (NGOs) उनकी मदद के लिए आ पहुँचती।
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