Uski Soorat

तेरी सूरत
आज एक अरसे के बाद जो मुझे उनकी सूरत दिखाई दी,
मुझे आज भी वह पहले की तरह ही खूबसूरत दिखाई दी।
मूरत में दिख जाया करती थी सूरत उसकी मुझे,
आज सूरत दिखी उनकी तो इक बार और देखने की ज़रुरत दिखाई दी।
जुदाई मौत है ज़िन्दगी उसकी कुर्बत में नज़र आई है,
ज़िंदादिली गुम-सी हो गई थी कहीं, देखा तो उसकी शोहबत में समाई है ।
दौलत जो न खरीद सकी सादगी वो शोहरत उसमें आई है,
गुज़रे हुए हो गए जिनके ज़माने, उनके लिए उनकी आँखों में मोहब्बत उतर आई  है ।
आज फिर से तन्हाई ने घेर लिया था मुझे,
आज उसकी सूरत में मुझे उस नाजनीं की पाक सीरत नज़र आई  है ।

अविनाश रंजन गुप्ता 

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