Prashn 3
लिखित
(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-
1- उपनेता प्रेमचंद ने किन स्थितियों से अवगत कराया?
2- हिमपात किस तरह होता है और उससे क्या—क्या परिवर्तन आते हैं?
3- लेखिका के तंबू में गिरे बर्फ़ पिंड का वर्णन किस तरह किया गया है?
4- लेखिका को देखकर ‘की’ हक्का—बक्का क्यों रह गया?
5- एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए कुल कितने कैंप बनाए गए? उनका वर्णन कीजिए।
6- चढ़ाई के समय एवरेस्ट की चोटी की स्थिति कैसी थी?
7- सम्मिलित अभियान में सहयोग एवं सहायता की भावना का परिचय बचेंद्री के किस कार्य से मिलता है?
1. उपनेता प्रेमचंद ने अग्रिम दल को खुंभु हिमपात की स्थिति से पर्वतारोहियों को अवगत कराया। उन्होंने कहा कि उनके एक दल ने कैंप एक जो हिमपात के ठीक ऊपर है, वहाँ तक का रास्ता साफ़ कर दिया है। उन्होंने यह भी बताया कि पुल बनाकर, रस्सियाँ बाँधकर तथा झंडियों से रास्ता चिह्नित कर सभी बड़ी कठिनाइयों का जायजा ले लिया गया है। उन्होंने यह भी ध्यान दिलाया कि ग्लेशियर बर्फ़ की नदी है और बर्फ़ का गिरना अभी भी जारी है।
2. हिमपात का अर्थ है बर्फ़ की बारिश जिसकी वजह से रास्ते ढक जाते हैं और दरारों पर बर्फ़ पड़ जाने के कारण आना-जाना मुश्किल हो जाता है। पाठ में बर्फ़ के खंडों का अव्यवस्थित ढंग से गिरने को ही हिमपात कहा गया है। हिमपात अनिश्चित और अनियमित होता है। ग्लेशियर के ढहने से अधिकतर हलचल होती है। इससे बर्फ़ की बड़ी-बड़ी चट्टानें तुरंत गिर जाती है इससे धरातल पर दरारें पड़ जाती हैं।
3. लेखिका गहरी नींद में सोई थी कि रात में 12.30 बजे के लगभग लेखिका के सिर के पिछले हिस्से में किसी एक सख्त चीज़ के टकराने से लेखिका की नींद अचानक खुल गई और साथ ही एक ज़ोरदार धमाका भी हुआ। तभी लेखिका को महसूस हुआ कि एक ठंडी, बहुत भारी कोई चीज़ मेरे शरीर पर से मुझे कुचलती हुई चल रही है। मुझे साँस लेने में भी कठिनाई हो रही थी।एक लंबा बर्फ़ का पिंड कैंप के ठीक ऊपर ल्होत्से ग्लेशियर से टूटकर नीचे आ गिरा था और उसका विशाल हिमपुंज बना गया था। हिमखंडों, बर्फ़ के टुकड़ों तथा जमी हुई बर्फ़ के इस विशालकाय पुंज ने, एक एक्सप्रेस रेलगाड़ी की तेज़ गति और भीषण गर्जना के साथ, सीधी ढलान से नीचे आते हुए हमारे कैंप को तहस—नहस कर दिया।
4. – की लेखिका को देखकर हक्का-वक्का रह गया क्योंकि लेखिका साउथ कोल कैंप पहुँच चुकी थी फिर भी की से मिलने के लिए बर्फीली आँधी का सामना करते हुए नीचे आ गई थी। यह जानलेवा साबित हो सकता था। दूसरी तरफ यह लेखिका का पहला अभियान था और अनुभव बिलकुल नहीं।
5. एवरेस्ट पर चढ़ने केलिए कुल सात कैंप लगाए गए थे-
i. बेसकैंप- यह कैंप काठमांडू के शेरपालैंड में लगाया गया था।
ii. कैंप एक – यह हिमपात से 6000 मीटर की ऊँचाई पर था।
iii. कैंप दो – 16 मई प्रातः सभी लोग इस कैंप में पहुँचे।
iv. कैंप तीन - यह लोहात्से पहाड़ी के आँगन में स्थित था।
v. कैंप चार – यह समुद्र तल से 7900 मीटर ऊपर थ। यहीं से साउथ कोल कैंप और शिखर कैंप के लिए चढ़ाई की गई।
vi. साउथ कोल कैंप – यही से अंतिम दिन की चढ़ाई शुरू हुई।
vii. शिखर कैंप – यह शिखर की सर्वोत्तम चोटी से ठीक नीचे स्थित है।
6. चढ़ाई करते समय एवरेस्ट पर जमी बर्फ सीधी और ढलाऊ थी। दक्षिणी शिखर के ऊपर हवा की गति बढ़ गई थी। उस ऊँचाई पर तेज़ हवा के झोंके भुरभुरे बर्फ़ के कणों को चारों तरफ़ उड़ा रहे थे, जिससे दृश्यता शून्य तक आ गई थी। थोड़ी दूर के बाद कोई ऊँची चढ़ाई नहीं है। ढलान एकदम सीधा नीचे चला गया है। एवरेस्ट शंकु की चोटी पर दो व्यक्ति साथ—साथ खड़े हो सकें इतनी जगह भी नहीं थी।
7. सम्मिलित अभियान में सहयोग एवं सहायता की भावना का परिचय बचेंद्री के इस कार्य से मिलता है जब लेखिका ने अपने दल के दूसरे सदस्यों की मदद करने का निश्चय किया। इसके लिए वह एक थरमस को जूस और दूसरे को गरम चाय से भरकर बर्फीली हवा में तंबू से बाहर निकली और नीचे उतरने लगी। जय ने उसके इस प्रयास को खतरनाक बताया तो लेखिका ने जवाब दिया, “मैं भी औरों की तरह पर्वतारोही हूँ इसलिए इस दल में आई हूँ। मैं शारीरिक रूप से ठीक हूँ इसलिए मुझे अपने दल के सदस्यों की मदद करनी चाहिए।”
Very helpful today only I have made my copy ✅🕳️
ReplyDeleteOp
Delete