Prashn 3
लिखित
(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-
1 - कीचड़ का रंग किन—किन लोगों को खुश करता है?
2 - कीचड़ सूखकर किस प्रकार के दृश्य उपस्थित करता है?
3 - सूखे हुए कीचड़ का सौंदर्य किन स्थानों पर दिखाई देता है?
4 - कवियों की धारणा को लेखक ने युक्तिशून्य क्यों कहा है?
1. कीचड़ का रंग बहुत सुंदर है। आमलोग पुस्तकों के गत्तों पर, घरों की दीवारों पर अथवा शरीर पर के कीमती कपड़ों के लिए हम सब कीचड़ के जैसे रंग पसंद करते हैं। कलाभिज्ञ लोगों को भट्टी में पकाए हुए मिट्टी के बरतनों के लिए यही रंग बहुत पसंद है। फ़ोटोग्राफर फोटो लेते समय भी यदि उसमें कीचड़ का, एकाध ठीकरे का रंग आ जाए तो उसे वार्मटोन कहकर विज्ञ लोग खुश—खुश हो जाते हैं।
2. नदी के किनारे जब कीचड़ सूखकर उसके टुकड़े हो जाते हैं, तब वे बहुत सुंदर दिखते हैं। ज़्यादा गरमी से जब उन्हीं टुकड़ों में दरारें पड़ती हैं और वे टेढ़े हो जाते हैं, तब सुखाए हुए खोपरे जैसे दीख पड़ते हैं। यह दृश्य बहुत खूबसूरत होता है। इस कीचड़ का पृष्ठ भाग कुछ सूख जाने पर उस पर बगुले और अन्य छोटे—बड़े पक्षी चलते हैं, तब तीन नाखून आगे और अँगूठा पीछे ऐसे उनके पदचिह्न, मध्य एशिया के रास्ते की तरह दूर—दूर तक अंकित हो जाते हैं।
3. सूखे हुए कीचड़ का सौंदर्य नदी के किनारे दिखाई देता है। जब कीचड़ ज़्यादा सूखकर ठोस हो जाए, तब गाय, बैल, पाड़े, भैंस, भेड़, बकरे इत्यादि के पदचिह्न उस पर अंकित होते हैं उसकी शोभा और ही है और फिर जब दो मदमस्त पाड़े अपने सींगों से कीचड़ को रौंदकर आपस में लड़ते हैं तब नदी किनारे अंकित पदचिह्न और सींगों के चिह्नों से मानो महिषकुल के भारतीय युद्ध का पूरा इतिहास ही इस कर्दम लेख में लिखा हो -ऐसा भास होता है।
4. कवियों की धारणा को लेखक ने युक्तिशून्य कहा है क्योंकि अधिकतर कवि आंतरिक सुंदरता को महत्त्व न देकर बाहरी सुंदरता को महत्त्व देते हैं। ये कविवृंद कीचड़ में उगने वाले कमल से तो प्रेम करते हैं मगर कीचड़ का तिरस्कार करते हैं। ये केवल सौंदर्य को महत्त्व देते हैं उन्हें उत्पन्न करने वाले कारणों को नहीं।
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