Prashn 2

लिखित
(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-
1- कॉलेज के दिनों में रामन् की दिली इच्छा क्या थी?
2- वाघयंत्रों पर की गई खोजों से रामन् ने कौनसी भ्रांति तोड़ने की कोशिश की?
3- रामन् के लिए नौकरी संबंधी कौनसा निर्णय कठिन था?
4- सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् को समयसमय पर किनकिन पुरस्कारों से सम्मानित  किया गया?
5- रामन् को मिलनेवाले पुरस्कारों ने भारतीयचेतना को जाग्रत किया। ऐसा क्यों कहा गया है?

1.    अपने कॉलेज के ज़माने से ही उन्होंने शोधकार्यों में दिलचस्पी लेना शुरू कर दिया था। उनका पहला शोधपत्र फिलॉसॉफिकल मैगज़ीन में प्रकाशित हुआ था। इससे उन्हें असीम सुख प्राप्त हुआ और  कॉलेज के दिनों से ही  रामन् की दिली इच्छा तो यही हो गई  कि वे अपना सारा जीवन शोधकार्यों को ही समर्पित कर दें।  
2.     वाघयंत्रों पर की गई खोजों से रामन् ने वर्षों से फैली भ्रांतिभारतीय वाघयंत्र विदेशी  वाघयंत्रों की तुलना में घटिया हैको तोड़ने की कोशिश की।
3.    रामन् के लिए नौकरी संबंधी यह निर्णय कठिन थाजब आशुतोष मुखर्जी ने रामन् के समक्ष कलकत्ता विश्वविघालय में प्रोफ़ेसर के  पद को ग्रहण करने का प्रस्ताव रखा। प्रोफ़ेसर की नौकरी की तुलना में उनकी वर्तमान की सरकारी नौकरी ज़्यादा वेतन तथा सुविधाओं से  भरी थी।
4.    सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् को समयसमय पर निम्नलिखित पुरस्कारों से सम्मानित  किया गया-
i.                  सन् 1924 में रॉयल सोसाइटी की सदस्यता से सम्मानित किया गया।
ii.               सन् 1929 में उन्हें सर’ की उपाधि प्रदान की गई।
iii.            सन् 1930 उन्हें विश्व के सर्वोच्च पुरस्कार-भौतिकी में नोबेल पुरस्कार-से सम्मानित किया गया.
iv.          रोम का मेत्यूसी पदक प्रदान किया गया ।
v.             रॉयल सोसाइटी का ह्यूज़ पदक प्रदान किया गया ।
vi.          फ़िलोडेल्फ़िया इंस्टीट्यूट का फ्रैंकलिन पदक प्रदान किया गया ।
vii.      सोवियत रूस का अंतर्राष्ट्रीय लेनिन पुरस्कार से सम्मानित किया गया ।
viii.       सन् 1954 में रामन् को देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
रामन् को मिलनेवाले पुरस्कारों ने भारतवर्ष को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए एक नई पहचानसम्मान और आत्मविश्वास दिया। उनके अंदर एक राष्ट्रीय चेतना थी। वे वैज्ञानिक दृष्टि और चिंतन के प्रति समर्पित थे। उन्हें भारतीय संस्कृति से गहरा लगाव था। अंतर्राष्ट्रीय प्रसिद्धि के बाद भी उन्होंने सैकड़ों छात्रों का मार्गदर्शन किया और देश के छात्रों को एक सफल वैज्ञानिक बनने की प्रेरणा दी।   

Comments