Prashn 2

2- नीचे लिखी पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए 
(क) जाकी अंगअंग बास समानी
(ख) जैसे चितवत चंद चकोरा
(ग) जाकी जोति बरै दिन राती
(घ) ऐसी लाल तुझ बिनु कउनु करै
(ङ) नीचहु ऊच करै मेरा गोबिंदु काहू ते न डरै

क. इस पंक्ति का भाव यह है कि हमें अपनी संगति का चुनाव बहुत ही सोच-समझ कर करना चाहिए। संगति का असर हमारे व्यक्तित्व और कृतित्व पर पड़ता है। यहाँ पर रैदास ने अपनी संगति प्रभु से की है जिसे उन्होंने चंदन माना है और खुद को पानी। ऐसे तो पानी में कोई भी सुगंध नहीं होता है पर चंदन के संपर्क में आ जाने के बाद पानी भी सुगंधित हो जाता है।
ख.       कवि इस पंक्ति के माध्यम से यह कहना चाहते हैं कि हमारे जीवन का एक ही लक्ष्य होना चाहिए। और उस लक्ष्य की प्राप्ति हेतु हमें हमेशा प्रयत्नशील रहना चाहिए। उन्होंने यहाँ पर एक पक्षी चकोर का उदाहरण दिया है जो चाँद का प्रेमी है। वह चाँद को निहारता रहता है। उसी प्रकार रैदास भी अपने प्रभु के दर्शन निरंतर करते रहना चाहते हैं।
ग.    यहाँ कवि स्वयं को बाती और प्रभु को दीपक मानते हैं। जिसकी ज्योति दिन-रात जलती रहती है। कवि कहते हैं कि उनके मन में अपने प्रभु के लिए अगाध प्रेम है जो दीपक कि तरह हमेशा प्रज्ज्वलित होती रहती है।
घ.   कवि यहाँ अपने प्रभु के गुणों का बखान करते हुए कहते हैं कि इस संसार का कोई भी ऐसा काम नहीं जो ईश्वर नहीं कर सकते  वो तो समाज में नीच से नीच लोगों को भी राजाओं जैसा सम्मान प्रदान करने में सक्षम हैं।
ङ. कवि ईश्वर की असीम कृपा का वर्णन करते हुए कह रहे हैं कि समाज में निम्न श्रेणी के लोग जिन्हें समाज में उचित स्थान नहीं मिल पाता है ईश्वर के दरबार में उनका स्वागत किया जाता है। कबीर, सैन  सधना, त्रिलोचन जैसे सामान्य लोगों को ईश्वर की कृपा से अमरत्व का वरदान प्राप्त हुआ।




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