Bhasha Karya
1.
चाँद
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राकेश
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शशि
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ज़िक्र
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उल्लेख
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वर्णन
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आघात
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हमला
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चोट
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ऊष्मा
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गर्मी
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घनिष्ठता
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अंतरंग
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घनिष्ठ
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आंतरिक
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2.
(क) हम तुम्हें स्टेशन तक छोड़ने नहीं जाएँगे।
(ख) किसी लॉण्ड्री पर दे देने से क्या जल्दी
धुल जाएँगे?
(ग) सत्कार की ऊष्मा समाप्त हो जाएगी।
(घ) इनके कपड़े यहाँ देने हैं।
(ङ) ये अब नहीं टिकेंगे।
3.
पाठ में आए इन वाक्यों में 'चुकना' क्रिया के विभिन्न प्रयोगों को ध्यान से देखिए और वाक्य संरचना को समझिए
-
(क) तुम अपने भारी चरण-कमलों की छाप मेरी जमीन पर अंकित कर चुके।
(ख) तुम मेरी काफ़ी मिट्टी खोद चुके।
(ग) आदर-सत्कार के
जिस उच्च बिंदु पर हम तुम्हें ले जा चुके थे।
(घ) शब्दों का लेन-देन मिट गया और चर्चा के विषय चुक गए।
(ङ) तुम्हारे भारी-भरकम शरीर से सलवटें पड़ी चादर बदली जा चुकी और तुम यहीं हो।
4.
निम्नलिखित वाक्य संरचनाओं में 'तुम' के प्रयोग पर ध्यान दीजिए -
(क) लॉण्ड्री पर दिए कपड़े धुलकर आ गए और
तुम यहीं हो।
(ख) तुम्हें देखकर फूट पड़ने वाली मुस्कुराहट धीरे-धीरे फीकी पड़कर
अब लुप्त हो गई है।
(ग) तुम्हारे भरकम शरीर से सलवटें पड़ी चादर बदली जा चुकी।
(घ) कल से मैं उपन्यास पढ़ रहा हूँ और तुम
फिल्मी पत्रिका के पन्ने पलट रहे हो।
(ङ)
भावनाएँ गालियों का स्वरूप ग्रहण कर रही हैं, पर
तुम जा नहीं रहे।
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