Bhasha Karya
1.
जलाशय
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सर, सरोवर, तालाब
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सिंधु
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सागर, समुद्र, रत्नाकर
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पंकज
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नीरज, जलज, कमल
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पृथ्वी
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धरा, भूमि,धरती
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आकाश
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अम्बर, नभ, व्योम
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2.
(क) कीचड़ का नाम लेते ही सब बिगड़
जाता है।
का - संबंध कारक
(ख) क्या कीचड़ का वर्णन कभी किसी
ने किया है?
का - संबंध कारक
ने - कर्ता कारक
(ग) हमारा अन्न कीचड़ से ही पैदा
होता है।
से - करण कारक
(घ) पदचिह्न उस पर अंकित होते हैं।
पर - अधिकरण कारक
(ङ) आप वासुदेव की पूजा करते हैं।
की - संबंध कारक
(क) कीचड़ का नाम लेते ही सब बिगड़
जाता है।
का - संबंध कारक
(ख) क्या कीचड़ का वर्णन कभी किसी
ने किया है?
का - संबंध कारक
ने - कर्ता कारक
(ग) हमारा अन्न कीचड़ से ही पैदा
होता है।
से - करण कारक
(घ) पदचिह्न उस पर अंकित होते हैं।
पर - अधिकरण कारक
(ङ) आप वासुदेव की पूजा करते हैं।
की - संबंध कारक
3.
आकर्षक
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आकर्षक दाम मिलने पर किसान ने बिना कुछ सोचे अपनी जमीन बेच
दी।
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यथार्थ
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यथार्थ में जीना सीखो।
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तटस्थता
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न्याय करते समय राजा को तटस्थता की नीति अपनानी चाहिए।
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कलाभिज्ञ
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हमारी पाठशाला के वार्षिकोत्सव में कई महान कलाभिज्ञ आते हैं।
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पदचिह्न
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हमें गांधी जी के पदचिह्न पर आगे बढ़ना चाहिए।
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अंकित
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शिवाजी का नाम हमारे देश के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में
अंकित है।
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तृप्ति
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नदी का ठंडा जल पीकर मुसाफिर को तृप्ति हुई।
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सनातन
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इस विश्व में प्रेम ही सनातन है।
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लुप्त
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आज मानवता संसार से धीरे-धीरे लुप्त होती जा रही
है।
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जाग्रत
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आज भारत का हर गाँव अपने विकास के लिए जाग्रत हो चुका है।
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घृणास्पद
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धूल से सना मनुष्य घृणास्पद प्रतीत होता है।
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युक्तिशून्य
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बहस ना करो, तुम्हारे सारे तर्क युक्तिशून्य
हैं।
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वृत्ति
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सागर विनम्र वृत्ति का छात्र है।
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4.
(क) देखते-देखते हिमालय आँखों से ओझल हो गया।
(ख) रात होने से पहले हमें घर पहुँचना
चाहिए।
(ग) कमल कीचड़ में से ही पैदा होता
है।
5.
(क) तुम घर मत जाओ।
(ख) मोहन कल नहीं आएगा।
(ग) उसे न जाने क्या हो गया है?
(घ) डाँटो मत प्यार से कहो।
(ङ) मैं वहाँ कभी नहीं जाऊँगा।
(च) न वह बोला
न मैं।
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