Vaigyanik Chetna Ke Vahak C.V.Raman Dheeranjan Malve By Avinash Ranjan Gupta


VAIGYANIK CHETANA KE VAHAK; CHANDRASHEKHAR VENKAT RAMAN PAATH KA SHABDARTH click here


VAIGYANIK CHETANA KE VAHAK: CHANDRASHEKHAR VENKAT RAMAN PAATH KA BHASHA KARYA click here

मौखिक
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एकदो पंक्तियों में दीजिए-
1- रामन् भावुक प्रकृति प्रेमी के अलावा और क्या थे?
2- समुद्र को देखकर रामन् के मन में कौनसी दो जिज्ञासाएँ उठीं?
3- रामन् के पिता ने उनमें किन विषयों की सशक्त नींव डाली?
4- वाघयंत्रों की ध्वनियों के अध्ययन के द्वारा रामन् क्या करना चाहते थे?
5- सरकारी नौकरी छोड़ने के पीछे रामन् की क्या भावना थी?
6-रामन् प्रभावकी खोज के पीछे कौनसा सवाल हिलोरें ले रहा था?
7- प्रकाश तरंगों के बारे में आइंस्टाइन ने क्या बताया?
8- रामन् की खोज ने किन अध्ययनों को सहज बनाया?

1.    रामन् भावुक प्रकृति प्रेमी के अलावा और एक जिज्ञासु वैज्ञानिक भी थे   
2.    समुद्र को देखकर रामन् के मन में जिज्ञासाएँ उठीं कि आखिर समुद्र का रंग नीला ही क्यों होता है? कुछ और क्यों नहीं?
3.    रामन् के पिता ने उनमें भौतिकी और गणित  विषय  की सशक्त नींव डाली    
4.    वाघयंत्रों की ध्वनियों के अध्ययन के द्वारा रामन्  इनके पीछे छिपे वैज्ञानिक रहस्यों की परतें खोलना चाहते थे    
5.    सरकारी नौकरी छोड़ने के पीछे रामन् की वैज्ञानिक अध्ययन और शोधकार्य करने की भावना थी    
6.    रामन् प्रभावकी खोज के पीछे समुद्र के नीले रंग की वजह का सवाल हिलोरें ले रहा था    
7.     प्रकाश तरंगों के बारे में आइंस्टाइन ने बताया कि प्रकाश अति सूक्ष्म कणों की तीव्र धारा के समान है जिसे उन्होंने फोटॅान नाम दिया था।
8.     रामन् की खोज ने पदार्थों के अणुओं और परमाणुओं की आंतरिक संरचना के अध्ययन को सहज बनाया। 
लिखित
(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-
1- कॉलेज के दिनों में रामन् की दिली इच्छा क्या थी?
2- वाघयंत्रों पर की गई खोजों से रामन् ने कौनसी भ्रांति तोड़ने की कोशिश की?
3- रामन् के लिए नौकरी संबंधी कौनसा निर्णय कठिन था?
4- सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् को समयसमय पर किनकिन पुरस्कारों से सम्मानित  किया गया?
5- रामन् को मिलनेवाले पुरस्कारों ने भारतीयचेतना को जाग्रत किया। ऐसा क्यों कहा गया है?

1.    अपने कॉलेज के ज़माने से ही उन्होंने शोधकार्यों में दिलचस्पी लेना शुरू कर दिया था। उनका पहला शोधपत्र फिलॉसॉफिकल मैगज़ीन में प्रकाशित हुआ था। इससे उन्हें असीम सुख प्राप्त हुआ और  कॉलेज के दिनों से ही  रामन् की दिली इच्छा तो यही हो गई  कि वे अपना सारा जीवन शोधकार्यों को ही समर्पित कर दें।  
2.     वाघयंत्रों पर की गई खोजों से रामन् ने वर्षों से फैली भ्रांति; भारतीय वाघयंत्र विदेशी  वाघयंत्रों की तुलना में घटिया है, को तोड़ने की कोशिश की।
3.    रामन् के लिए नौकरी संबंधी यह निर्णय कठिन था, जब आशुतोष मुखर्जी ने रामन् के समक्ष कलकत्ता विश्वविघालय में प्रोफ़ेसर के  पद को ग्रहण करने का प्रस्ताव रखा। प्रोफ़ेसर की नौकरी की तुलना में उनकी वर्तमान की सरकारी नौकरी ज़्यादा वेतन तथा सुविधाओं से  भरी थी।
4.    सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् को समयसमय पर निम्नलिखित पुरस्कारों से सम्मानित  किया गया-
i.                  सन् 1924 में रॉयल सोसाइटी की सदस्यता से सम्मानित किया गया।
ii.               सन् 1929 में उन्हें सरकी उपाधि प्रदान की गई।
iii.            सन् 1930 उन्हें विश्व के सर्वोच्च पुरस्कार-भौतिकी में नोबेल पुरस्कार-से सम्मानित किया गया.
iv.          रोम का मेत्यूसी पदक प्रदान किया गया ।
v.             रॉयल सोसाइटी का ह्यूज़ पदक प्रदान किया गया ।
vi.          फ़िलोडेल्फ़िया इंस्टीट्यूट का फ्रैंकलिन पदक प्रदान किया गया ।
vii.      सोवियत रूस का अंतर्राष्ट्रीय लेनिन पुरस्कार से सम्मानित किया गया ।
viii.       सन् 1954 में रामन् को देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
रामन् को मिलनेवाले पुरस्कारों ने भारतवर्ष को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए एक नई पहचान, सम्मान और आत्मविश्वास दिया। उनके अंदर एक राष्ट्रीय चेतना थी। वे वैज्ञानिक दृष्टि और चिंतन के प्रति समर्पित थे। उन्हें भारतीय संस्कृति से गहरा लगाव था। अंतर्राष्ट्रीय प्रसिद्धि के बाद भी उन्होंने सैकड़ों छात्रों का मार्गदर्शन किया और देश के छात्रों को एक सफल वैज्ञानिक बनने की प्रेरणा दी।   

लिखित
(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-
1- रामन् के प्रारंभिक शोधकार्य को आधुनिक हठयोग क्यों कहा गया है?
2- रामन् की खोजरामन् प्रभावक्या है? स्पष्ट कीजिए।
3- ‘रामन् प्रभावकी खोज से विज्ञान के क्षेत्र में कौनकौन से कार्य संभव हो सके?
4- देश को वैज्ञानिक दृष्टि और चिंतन प्रदान करने में सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् के महत्त्वपूर्ण योगदान पर प्रकाश डालिए।
5- सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् के जीवन से प्राप्त होनेवाले संदेश को अपने शब्दों में लिखिए।

1.    रामन् के प्रारंभिक शोधकार्य को आधुनिक हठयोग कहा गया है क्योंकि उनकी परिस्थितियाँ बिलकुल विपरीत थीं। वे अत्यधिक महत्त्वपूर्ण तथा व्यस्त नौकरी पर थे। उन्हें हर प्रकार की सुख-सुविधा प्राप्त हो गई थी पर यह उनका  विज्ञान के प्रति प्रेम ही था जिसके कारण कलकत्ता में एक छोटी-सी प्रयोगशाला जहाँ उपकरणों की काफी कमी थी फिर भी वे पूरे मनोयोग से अपने शोधकार्य किया करते थे। 
2.    रामन् ने अनेक ठोस रवों और तरल पदार्थों पर प्रकाश की किरण के प्रभाव का अध्ययन किया। उन्होंने पाया कि जब एकवर्णीय प्रकाश की किरण किसी तरल या ठोस रवेदार पदार्थ से गुज़रती है तो गुज़रने के बाद उसके वर्ण में परिवर्तन आता है। वजह यह होती है कि एकवर्णीय प्रकाश की किरण के फोटॉन जब तरल या ठोस रवे से गुज़रते हुए इनके अणुओं से टकराते हैं तो इस टकराव के परिणामस्वरूप वे या तो ऊर्जा का कुछ अंश खो देते हैं या पा जाते हैं। दोनों ही स्थितियाँ प्रकाश के वर्ण (रंग) में बदलाव लाती हैं। यही खोज रामन्  प्रभावके नाम से जाना गया।   
3.    रामन् की खोज की वजह से पदार्थों के अणुओं और परमाणुओं की आंतरिक संरचना का अध्ययन सहज हो गया। पहले इस काम के लिए इंफ्रा रेड स्पेक्ट्रोस्कोपी का सहारा लिया जाता था। यह मुश्किल तकनीक है और गलतियों की संभावना बहुत अधिक रहती है। रामन् की खोज के बाद पदार्थों की आणविक और परमाणविक संरचना के अध्ययन के लिए रामन् स्पेक्ट्रोस्कोपी का सहारा लिया जाने लगा। यह तकनीक एकवर्णीय प्रकाश के वर्ण में परिवर्तन के आधार पर, पदार्थों के अणुओं और परमाणुओं की संरचना की सटीक जानकारी देती है। इस जानकारी की वजह से  पदार्थों का संश्लेषण प्रयोगशाला में करना तथा अनेक उपयोगी पदार्थां का कृत्रिम रूप से निर्माण संभव हो गया है।
4.    रामन् के अंदर एक राष्ट्रीय चेतना थी और वे देश में वैज्ञानिक दृष्टि और चिंतन के विकास के प्रति समर्पित थे। उन्हें अपने शुरुआती दिन हमेशा ही याद रहे जब उन्हें ढंग की प्रयोगशाला और उपकरणों के अभाव में काफ़ी संघर्ष करना पड़ा था। इसीलिए उन्होंने एक अत्यंत उन्नत प्रयोगशाला और शोधसंस्थान की स्थापना की जो बंगलोर में स्थित है और उन्हीं के नाम पर रामन् रिसर्च इंस्टीट्यूट नाम से जानी जाती है। भौतिक शास्त्र में अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने इंडियन जरनल ऑफ़ फ़िज़िक्स नामक शोधपत्रिका प्रारंभ की। अपने जीवनकाल में उन्होंने सैकड़ों शोधछात्रों का मार्गदर्शन किया।
5.    सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। धन के स्थान पर उन्होंने विद्या को हमेशा महत्त्व दिया। अपने शोध के प्रति उनका दृढ़ विश्वास विपरीत परिस्थितियों में थोड़ा-सा भी नहीं डगमगाया। वे अपने देश की सभ्यता और संस्कृति से बहुत प्रेम करते थे और इन्होंने इसके साथ कभी किसी भी प्रकार का समझौता नहीं किया। नई पीढ़ी के वैज्ञानिक चेतना का पोषण करने के लिए रामन् रिसर्च इंस्टीट्यूटकी स्थापना तथा इंडियन जरनल ऑफ़ फ़िज़िक्स नामक शोधपत्रिका प्रारंभ की। उनका जीवन और आचरण अनुकरणीय है।
लिखित
(ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए-
1- उनके लिए सरस्वती की साधना सरकारी सुखसुविधाओं से कहीं अधिक महत्त्वपूर्ण थी।
2- हमारे पास ऐसी न जाने कितनी चीज़ें बिखरी पड़ी हैं जो अपने पात्र की तलाश में हैं।
3- यह अपने आपमें एक आधुनिक हठयोग का उदाहरण था।
(घ) उपयुक्त शब्द का चयन करते हुए रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
इंफ्रारेड स्पेक्ट्रोस्कोपी, इंडियन असोसिएसन फॉर द कल्टीवेशन ऑफ साइंस , फिलॅासॅाफ़िकल मैगज़ीन, भौतिकी, रामन् रिसर्च इंस्टीट्यूट
1- रामन् का पहला शोध पत्र ---------------------- में प्रकाशित हुआ था।
2- रामन् की खोज ---------------------- के क्षेत्र में एक क्रांति के समान थी।
3- कलकत्ता की मामूलीसी प्रयोगशाला का नाम ---------------------- था।
4- रामन् द्वारा स्थापित शोध संस्थान ---------------------- नाम से जानी जाती है।
5- पहले पदार्थों के अणुओं और परमाणुओं की आंतरिक संरचना का अध्ययन करने के लिए ---------------------- का सहारा लिया जाता था।

1.    रामन् सरस्वती के सच्चे साधक थे। वे जिज्ञासु प्रकृति के वैज्ञानिक तथा अन्वेषक थे। सरस्वती  की साधना के लिए उन्होंने सरकारी नौकरी की सुख-सुविधा छोड़ दी और कम वेतन तथा कम सुविधा वाली प्रोफ़ेसर की नौकरी स्वीकार कर ली।  उन्होंने आजीवन शिक्षा पाने और देने में बिता दिया।
2.    मस्तिष्क में सवालों का उठना ही व्यक्ति के विकास का प्रथम सोपान है। रामन्  के मन में समुद्र के नीले रंग को लेकर सवाल उठा। ऐसे ही हम अनेक ऐसी चीज़ों से घिरे हुए हैं जिन पर अभी तक कोई भी शोध कार्य नहीं हुआ है। अगर हमारी दृष्टि किसी ऐसे ही वस्तु पर पड़े तो हम भी विश्वविख्यात बन सकते हैं।       
3.    हठ का अर्थ है-ज़िद। योग का अर्थ है - किसी भी कार्य को पूरे मन से करने की प्रबल इच्छा।  रामन् का अपने शोध कार्य के प्रति उत्कट आतुरता ही आधुनिक हठयोग का प्रमाण है। रामन् ने विपरीत परिस्थितियों में भी निरंतर काम कर कर अपने सपने को सच कर दिखाया। यह वास्तव में आधुनिक हठयोग का उदाहरण है।

खाली स्थान
1- रामन् का पहला शोध पत्र फिलॅासॅाफ़िकल मैगज़ीन में प्रकाशित हुआ था।
2- रामन् की खोज भौतिकी के क्षेत्र में एक क्रांति के समान थी।
3- कलकत्ता की मामूलीसी प्रयोगशाला का नाम इंडियन असोसिएसन फॉर द कल्टीवेशन ऑफ साइंस था।
4- रामन् द्वारा स्थापित शोध संस्थान रामन् रिसर्च इंस्टीट्यूट नाम से जानी जाती है।
5- पहले पदार्थों के अणुओं और परमाणुओं की आंतरिक संरचना का अध्ययन करने के लिए इंफ्रारेड स्पेक्ट्रोस्कोपी का सहारा लिया जाता था।



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