Tum Kab Jaoge, Atthi Paath Ka Shabdarth By Avinash Ranjan Gupta
तुम कब जाओगे, अतिथि
शब्दार्थ
1.
व्यंग्य – मज़ाक
2.
उपन्यास –Novel
3.
प्रतिष्ठा – इज्ज़त
4.
पटकथाएँ –Screenplay
5.
परिहास – मज़ाक
6.
पैनी – तीक्ष्ण, Sharp
7.
बेबाक – बिना डरे
8.
मेज़बान – Host
9.
विवश – मजबूर
10.
आगमन — आना
11.
निस्संकोच — संकोचरहित, बिना संकोच के
12.
नम्रता — नत होने का भाव, स्वभाव में नरमी का होना
13.
सतत — निरंतर, लगातार
14.
आतिथ्य — आवभगत
15.
एस्ट्रॉनाट्स — अंतरिक्ष यात्री
16.
अंतरंग — घनिष्ठ, गहरा
17.
आशंका — खतरा, भय, डर
18.
मेहमाननवाज़ी — अतिथि सत्कार
19.
छोर — किनारा, सीमा
20.
भावभीनी — प्रेम से ओतप्रोत
21.
आघात — चोट, प्रहार
22.
अप्रत्याशित — आकस्मिक, अनसोचा
23.
मार्मिक — मर्मस्पर्शी
24.
सामीप्य — निकटता, समीपता
25.
औपचारिक — दिखावटी, रस्मी
26.
निर्मूल — मूलरहित, बिना जड़ का
27.
कोनलों — कोनों से
28.
सौहार्द — मैत्री, हृदय की सरलता
29.
रूपांतरित — जिसका रूप (आकार) बदल दिया गया हो
30.
ऊष्मा — गरमी, उग्रता
31.
संक्रमण — एक स्थिति या अवस्था से दूसरी में प्रवेश
गुंजायमान
— गूँजता हुआ
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