Patjhar Me Tooti Pattiyan Paath Ke Kuchh Smaraneey Bindu By Avinash Ranjan Gupta
महत्त्वपूर्ण तथ्य
पाठ ‘गिन्नी का सोना और झेन की देन’ के कुछ स्मरणीय बिंदु -
1. पाठ ‘ गिन्नी का सोना और झेन की देन’ के लेखक रवीन्द्र केलेकर हैं।
2. जापान में चाय पीने की एक विधि है जिसे जापानी में उसे चा—नो—यू कहते हैं।
3. जापान में चाजीन दो- झो- (आइए, तशरीफ़ लाइए) कहकर स्वागत करते हैं।
4. व्यवहारवादी लोग कैसे होते हैं?
व्यवहारवादी लोग हमेशा सजग रहते हैं। वे लाभ—हानि का हिसाब लगाकर ही कदम उठाते हैं। वे जीवन में सफल होते हैं, अन्यों से आगे भी जाते हैं परंतु इसका यह अर्थ कदाचित नहीं कि सफलता के साथ-साथ उनमें चरितार्थता का भी विकास हो।
5. जापान में चाय पीने को इतना महत्त्व क्यों देते हैं?
जापान में चाय पीने को बहुत महत्त्व दिया जाता है क्योंकि चाय पीने की अवस्था में ही चाय पीनेवाले का मस्तिष्क भूत और भविष्य की उलझनों और चिंताओं से मुक्त हो जाता है और वर्तमान का आनंद लेने लगता है।
6. ‘गिन्नी का सोना’ पाठ का मूल उद्देश्य क्या है?
इस पाठ से हमें यह शिक्षा मिलती है कि समाज में उच्च सांस्कृतिक और सामाजिक मूल्यों की स्थापना करने वाले आदर्शवादी व्यक्ति ही हैं। हाँ, ये बात और है कि बदलते समय के साथ आदर्शवाद में व्यवहारवाद का पुट मिलाना ज़रूरी हो गया है परंतु उतना ही जितना कि सोने में तांबा मिलाया जाता है।
7. ‘पतझर में टूटी पत्तियाँ’ पाठ का मूल उद्देश्य क्या है?
प्रस्तुत कहानी ‘पतझर में टूटी पत्तियाँ’ में वर्तमान युग में एक दूसरे से आगे निकल जाने की होड़ के कारण मानसिक रोगों का ज़िक्र किया गया है। आज की स्थिति में सब भागते हुए नज़र आते हैं क्योंकि उनका मानना है कि हमें भी भागना पड़ेगा नहीं तो हम पीछे रह जाएँगे। इस वजह से मनुष्य की आयु क्षीण होने के साथ-साथ मानसिक रोगों में भी बढ़ोतरी होती दिखाई पड़ रही है। हमें चाहिए कि हम सिर्फ वर्तमान में जीएँ और भूत-भविष्य के अंदेशों से मुक्त रहे।
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