Parvat Pradesh Me Pavas Kavita Ka Shabdarth By Avinash Ranjan Gupta

पर्वत देश में पावस  
                                                            सुमित्रानंदन पंत
शब्दार्थ
1.       पावस- वर्षा 
2.        ऋतु- मौसम
3.        पर्वत- पहाड़
4.        प्रांत राज्य
5.        पल-पल- क्षण-क्षण
6.        परिवर्तित- बदला हुआ
7.        प्रकृति- कुदरत
8.        वेश- रूप  
9.        मेखलाकार- करघनी  के आकार का  
10.    आकार- गढ़न या बनावट
11.    आपार- विशाल
12.    सहस्र- हज़ार
13.    दृग- नेत्र, नयन
14.    सुमन- फूल
15.   अवलोक- देख
16.    बार-बार- लगातार
17.    जल- पानी
18.    निज- अपना
19.    महाकार- विशाल रूप
20.    चरण- पद
21.    पला-पोषित
22.    ताल- तालाब
23.    दर्पण- आईना
24.    गिरि- पर्वत
25.   गौरव- बड़प्पन
26.    मद- मस्ती
27.    उत्तेजित- तीव्रता
28.    निर्झर- झरना 
29.    उर- हृदय
30.    उच्चाकांक्षाओं- ऊँची इच्छाएँ
31.    तरुवर- पेड़ों का समूह 
32.    नीरव- शांत
33.    नभ- आकाश 
34.    अनिमेष- बिना पलक झपकाए
35.    अटल- दृढ़
36.    अचानक- एकाएक
37.   भूधर- पहाड़
38.    पारद- एक प्रकार का सफ़ेद धातु
39.    पर- पंख
40.    रव- ध्वनि
41.    भू- पृथ्वी
42.    अंबर- आकाश
43.    धरा- पृथ्वी
44.    सभय- भय के साथ
45.    शाल- एक प्रकार का पेड़
46.    यों- इस तरह
47.    जलद- मेघ
48.    यान- परिवहन का माध्यम
49.    विचर-विचर- घूम-घूम
 इंद्रजाल- जादूगरी

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