Meri Masarrat By Avinash Rnajan Gupta
मेरी मसर्रत(मुसकान)
सुबह
की धूप में तुम हो
कमल के
रूप में तुम हो
तुम्हीं
हो दिल की धड़कन में
तुम्हीं
हो मेरे जीवन में
तबस्सुम
तुमसे ही लब पर (तबस्सुम –
मुस्कान)
रहम रब
का है ये मुझ पर
असर
तेरा है कुछ ऐसा
उतर आए
हाँ जन्नत जमीं पर
मेरे
सज़दे में शामिल तुम (सज़दे –
प्रार्थना)
ख़ुदा
की बंदगी में तुम (बंदिगी
– पूजा)
नवाज़िश
साथ है तेरा (नवाज़िश –
कृपा)
कयामत
तक तू हो मेरा। (कयामत –
प्रलय)
तू बस
इतना समझ ले कि
तेरे
होने से ही मैं हूँ
तेरे
होने से मजलिस है (मजलिस – मेला)
तेरे होने
से महफ़िल है
जो तू
न हो तो जन्नत क्या
ख़ुदा
का साथ भी संग है। (संग – पत्थर)
मेरी जीवनसंगिनी को समर्पित
अविनाश
रंजन गुप्ता
Comments
Post a Comment