Kar Chale Ham Fida By Avinash Ranjan Gupta
1 -निम्नलिखित
प्रश्नों के उत्तर दीजिए -
1. क्या इस गीत की कोई ऐतिहासिक पृष्ठभूमि है?
2. ‘सर हिमालय का हमने न झुकने दिया’, इस पंक्ति में हिमालय किस बात का प्रतीक है?
3. इस गीत में धरती को दुलहन क्यों कहा गया है?
4. गीत में ऐसी क्या खास बात होती है कि वे जीवन
भर याद रह जाते हैं?
5. कवि ने ‘साथियो’ संबोधन का प्रयोग किसके लिए किया है?
6. कवि ने इस कविता में किस काफ़िले को आगे बढ़ाते
रहने की बात कही है?
7. इस गीत में ‘सर पर कफ़न बाँधना’ किस ओर संकेत
करता है?
8. इस कविता का प्रतिपाद्य अपने शब्दों में लिखिए।
1.
हाँ, इस गीत की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि है। सन् 1962 में चीन ने भारत पर आक्रमण किया था। यह युद्ध हिमालय
की वादियों में लड़ा गया था। इस युद्ध में हज़ारों सैनिकों ने वीरगति पाई थी। इन सैनिकों
ने अपना रक्त और जीवन बलिदान कर अपने अंतिम साँस तक देश के सम्मान की रक्षा की थी।
इसी युद्ध की पृष्ठभूमि पर निर्देशक चेतन आनंद ने ‘हकीकत’ फिल्म बनाई थी और इसी फिल्म
के लिए परसिद्ध शायर कैफी आज़मी ने यह गीत लिखा था। यह गीत आज भी स्वतंत्रता दिवस और
गणतन्त्र दिवस के पावन अवसर पर पूरे हर्षोल्लास के साथ सुना जाता है।
2.
इस पंक्ति में हिमालय देश (भारत) का प्रतीक है। चूँकि, यह युद्ध हिमालय की वादियों
में लड़ा गया था और वहीं हमारे सैनिकों का शिविर था जिसके वजह से भारतीय सैनिकों ने
पूरे जज़्बे के साथ युद्ध किया और भारत की गरिमा और महिमा पर आँच भी न आने दी।
3.
धरती को दुल्हन के समान इसलिए कहा गया है क्योंकि इसकी रक्षा करने के लिए सैनिक
अपना जीवन न्योछावर करने को उत्सुक थे तथा
शत्रु से उसकी रक्षा करना चाहते थे। यहाँ पर कवि ने भारत भूमि की सुंदरता और कोमल भाव
दिखाएँ हैं। दूसरी तरफ सैनिक इस धरती के लिए जीते हैं और इसी धरती के लिए मर जाते हैं।
अर्थात् यह कहा जा सकता है कि धरती दुल्हन है तथा सैनिक उससे प्रेम करने वाले जोशीले
योद्धा हैं।
4.
गीतों में बहुत कोमल भाव होते हैं। शब्दों का माकूल चयन किया जाता है। सुर,ताल
और लय की पूरी सामंजस्य होता है। साथ ही साथ कविता में निहित गहराई हमारे दिलों में
सदा-सदा के लिए घर कर जाती है।
5.
कवि ने ‘साथियों’ शब्द का प्रयोग देशवासियों के लिए किया है क्योंकि सैनिकों
के वीरगति पाने के बाद देश कि रक्षा का भार समस्त देशवासियों पर आ जाता है।
6.
इस कविता में कवि ने देह पर बलिदान होने वाले लोगों के काफिलों को आगे बढ़ाते
रहने की बात कही है। यह काफिला चलता रहता है। किसी देशभक्त के शहीद होने के बाद भी
यह क्रम चलता रहन चाहिए ताकि देश की गरिमा और महिमा कभी भी खंडित न होने पाए।
7.
यह कथन ‘सर पर कफ़न बाँधना’ देश पर मर-मिटने की भावना की ओर संकेत करता है। इससे
कुर्बानी देने का भाव झलकता है। इस कथा का साधारण अर्थ यह होता है कि मौत के लिए पूरे तरीके से तैयार रहना।
8.
प्रतिपाद्य- अपने देश की रक्षा व मातृभूमि के सम्मान के लिए सैनिक कुर्बान होने
को तैयार हैं। सैनिक का जीवन केवल देश की रक्षा के लिए होता है। जब तक उसके जीस्म में
लहू का एक कतरा भी रहता है वह पूरी शिद्दत से अपने मुल्क की रक्षा करता है और अपने
सरजमीं को दुश्मनों के नापाक इरादों से बचाता है। वह देशवासियों से कहता है कि उसे
अपनी शहादत पर गर्व है लेकिन उसकी देशवासियों से अपेक्षाएँ हैं।
(ख) निम्नलिखित
का भाव स्पष्ट कीजिए -
1. साँस थमती गई, नब्ज़ जमती गई
फिर भी बढ़ते कदम को न रुकने दिया
2. खींच दो अपने खूँ से ज़मीं पर लकीर
तरफ़ आने पाए न रावन कोई
3. छू न पाए सीता का दामन कोई
राम भी तुम, तुम्हीं लक्ष्मण साथियो
1. प्रस्तुत पंक्तियों में देश के लिए अपना घर
छोड़कर युद्ध के लिए गए सैनिकों के भावनाओं का वर्णन हैं। सैनिक कहते हैं की हे देशवासियों!
हमने तो देश के लिए अपना तन, मन और जीवन
न्योछावर कर दिया है अब यह देश तुम्हारे हवाले है। दुश्मनों से युद्ध करते समय हम घायल
हो गए थे। हमारी सांसें रुकने कगी थीं तथा
नाड़ियों में रक्त भी जमने लगा था। फिर भी हमने अपने कदमों को रुकने नहीं दिया। हमारे
मन में केवल एक ही प्रतिज्ञा थी की चाहे हमारे सिर ही क्यों न कट जाए, पर हम देश का सिर नहीं झुकने देंगे।
2. प्रस्तुत पंक्तियों में देश के लिए युद्ध
पर गए सैनिक को कवि कहते हैं सैनिक देश के
लिए मरने को तैयार हैं। यदि शत्रु हमारी पवित्र मातृभूमि पर कदम रखने का दुस्साहस करे
तो अपने रक्त से जमीन पर रेखा खींच दो अर्थात अपना जीवन बलिदान कर कर भी शत्रु को न
आने दो।
3. प्रस्तुत पंक्तियों में देश के लिए युद्ध पर गए सैनिक को कवि कहते हैं हमारी
सीता-सी पावन धरती के लिए तुम्हीं राम व लक्ष्मण हो। इस तरफ़ रावण रूपी किसी भी शत्रु
को नहीं आने देना है। मातृभूमि कि रक्षा के लिए हम अपना सर्वस्व लुटा देने को तैयार
हैं और हमारे बाद इस देश की सुरक्षा कि ज़िम्मेदारी तुम्हारे हाथों में होगी।
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