Jay Ka Janm By Avinash Ranjan Gupta
जय का जन्म
जान ले
जय का जन्म होता जी जतन से,
होगा
यकीन तुझको भी गर पूछे अपने मन से,
ज्योति, ज्वाला, जोश, जिज्ञासा का है ज़खीरा तुझमें
भी,
होगा
भान तुझको भी इसका गर झाँकें अपने अंदर कभी।
मत कर
अपेक्षा औरों के द्वारा झकझोरे जाने की,
बारी है अब
स्वयं ही स्वयं की शक्तियाँ पहचानने की,
पहचानकर पथ
को तू अपने प्रेरणा का परिधान कर,
पथ की पीड़ा
को परास्त तो तू फुर्ती का पान कर।
जय-जयकार
की मंगल ध्वनि का स्पर्श तेरे कर्णों को होगा।
वंदनीय
तुम भी बनोगे पर श्रेय तेरे कर्मों का होगा।
नाम
तेरा भी इतिहास के पन्नों पर स्वर्णों में होगा।
न
रहेगी काया तेरी पर यश यहाँ तेरा वर्षों तक होगा।
अविनाश
रंजन गुप्ता
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