Hindi ki Samanya Trutiyan By Avinash Ranjan Gupta
सामान्य त्रुटियाँ
‘ऋ’ के उच्चारण और लेखन में होने वाली कठिनाइयाँ
ऋषि
कृषि
वृष्टि
दृष्टि
ऋतु
आकृति
शृंगार
इनके
उच्चारण में ‘रु’ या ‘रू’ की ध्वनि का प्रयोग यदा-कदा अहिंदी (ओडिया या
मराठी) क्षेत्रों में देखा जाता है जो कि हिंदी भाषा के मानक उच्चारण के प्रतिकूल
है। इनका उच्चारण ‘रि’ की तरह होना चाहिए।
क्रिकेट कृकेट
‘ऋ’
से केवल संस्कृत के ही शब्द बनते हैं ।
‘क्ष’ से संबंधित लेखन एवं वाचन की त्रुटियाँ
रक्षा
राक्षस
भिक्षा
दीक्षा
‘क्ष’ के उच्चारण में
भी ‘ख्य’ की ध्वनि का प्रयोग क्षेत्रीय भाषा के प्रभाव से होता हुआ देखा जाता है,
जैसे- कक्षा का कख्या, पक्षी का पख्खी प्रयोग इत्यादि ।
निदान –
क+ष्= क्ष
यह ‘छ’ व्यंजन वर्ण
‘क्ष’ संयुक्त व्यंजन वर्ण की ध्वनि से भिन्न है।
‘क्ष’ से केवल
संस्कृत के ही शब्द बनते हैं ।
ङ, ड, ढ, ड़, ढ़ के
प्रयोग में होने वाली कठिनाइयाँ
ङ – स्वतंत्र
रूप से हिंदी के किसी भी शब्दों में प्रयोग नहीं होता. यह नासीक्य ध्वनि है.
ड़ – यह उत्क्षिप्त द्विगुण (ड+र
) व्यंजन वर्ण है और इसका प्रयोग किसी भी हिंदी शब्द के आरंभ में नहीं होता
है.
ढ़ - यह उत्क्षिप्त द्विगुण (ढ+र
) व्यंजन वर्ण है और इसका प्रयोग किसी भी हिंदी शब्द के आरंभ में नहीं होता है.
ड – इससे हिंदी शब्दों की
शुरूआत होती हैं. डमरू, डाल
ढ - इससे हिंदी शब्दों की
शुरूआत होती हैं. ढेला, ढोलक
अर्धचंद्राकार ‘ॉ’
कॉलेज
बॉल
हॕकी
इसका प्रयोग केवल
अंग्रेज़ी के शब्दों के साथ ही किया जाता है. इसका उच्चारण में आ ओर ओ के
बीच आने वाली ध्वनि होती है.
सामान्य त्रुटि
सोने (सोना) का रंग पीला है.
रास्ते (रास्ता) में
कीचड़ भरा पड़ा है.
‘लोहे (लोहा)के चने
चबाना’ एक प्रसिद्ध मुहावरा है.
बच्चे में प्रतिभा
कूट-कूट कर भरे हुए हैं.
निदान
आकारांत पुल्लिंग
शब्दों के बाद जब कोई परसर्ग का प्रयोग होता है तो ये आकारांत पुल्लिंग शब्द
एकारांत में परिवर्तित हो जाते हैं.
स्त्रीलिंग
की पहचान वचन से
जब स्त्रीलिंग शब्द अकारांत
या आकारांत या उकारांत या औकारांत यानि जिस शब्द के अंतिम वर्ण में स्वर ‘अ’ या ‘आ’ या ‘उ’ या ‘ऊ’ या ‘औ’ हो तो उसका बहुवचन बनाने
के लिए ‘अ’
या ‘आ’ या ‘उ’ या ‘ऊ’ या ‘औ’ के स्थान पर ‘एँ’ हो
जाता है। याद रखें कि शिरोरेखा के ऊपर मात्रा आने पर चंद्रबिंदु के स्थान पर
अनुनासिक (बिंदु) का प्रयोग किया जाता है और ‘ए’ की मात्रा ( े) होती है।
अकारांत स्त्रीलिंग
शब्द
बात - बातें
गाय - गाएँ
सड़क - सड़कें
पुस्तक - पुस्तकें
आँख – आँखें
रात – रातें
अकारांत स्त्रीलिंग
शब्द
विद्या (आ) - विद्याएँ (एँ)
माला - मालाएँ
कविता - कविताएँ
प्रार्थना - प्रार्थनाएँ
उकारांत स्त्रीलिंग
शब्द
वस्तु - वस्तुएँ
धेनु - धेनुएँ
ऊकारांत स्त्रीलिंग
शब्द
जू - जुएँ
बहू – बहुएँ
औकारांत स्त्रीलिंग
शब्द
गौ = गौएँ
जब स्त्रीलिंग शब्द इकारान्त
या ईकारान्त यानि जिस शब्द के अंतिम वर्ण में स्वर ‘इ’ या ‘ई’ हो तो उसका बहुवचन बनाने के लिए ‘इ’ या ‘ई’ के स्थान पर ‘इयाँ’ हो जाता है।
तिथि (इ) - तिथियाँ (इयाँ)
पंक्ति - पंक्तियाँ
समिति - समितियाँ
जाति - जातियाँ
गली - गलियाँ
लिपि - लिपियाँ
कहानी (ई) - कहानियाँ (इयाँ)
लड़की - लड़कियाँ
नदी - नदियाँ
सखी - सखियाँ
बाल्टी - बाल्टियाँ
रोटी - रोटियाँ
कचौरी - कचौरियाँ
लाठी - लाठियाँ
संज्ञा शब्द का अंत में यदि
‘या’
लगा हुआ हो उसका बहुवचन बनाने के लिए उनके अन्त में चंद्रबिन्दु ( ँ) लगा देते हैं।
जैसे-
गुड़िया - गुड़ियाँ
चिड़िया - चिड़ियाँ
पुड़िया - पुड़ियाँ
बुढ़िया - बुढ़ियाँ
डिबिया – डिबियाँ
क्रियाकलाप
वचन के आधार पर निम्नलिखित शब्दों के
लिंग लिखें
शब्द
बहुवचन लिंग
1. राह ______ ______
2. केला ______ ______
3. रास्ता ______ ______
4. आम ______ ______
5. अजीब ______ ______
6. ख़बर ______ ______
7. कथा ______ ______
8. पुराना ______ ______
9. कलम ______ ______
10.
बोतल ______ ______
अप्राणिवाचक शब्दों से स्त्रीलिंग की पहचान
अप्राणिवाचक शब्द (Neuter Words)- ऐसे शब्दों का लिंग निर्णय क्रिया या विशेषणों
के प्रयोग से किया जाता है, जैसे-
पंखा घूम रहा है।
घड़ी चल रही
है।
मोबाइल खराब हो गया।
रेलगाड़ी खड़ी
है।
वाक्यों में रेखांकित शब्द अप्राणिवाचक शब्द है जिसके लिंग का ज्ञान हमें
क्रियापद से हो रहा है।
यह बड़ा कमरा है।
यह छोटी कुर्सी है।
दही मीठा है।
किताब मोटी है।
ऊपर दिए गए वाक्यों में अप्राणिवाचक संज्ञा शब्दों का लिंग निर्णय विशेषण के
प्रयोग से जाना जा सकता है,
जैसे- कमरा कैसा है?
बड़ा-पुल्लिंग
‘श’ ‘ष’ ‘स’
Ø तालव्य ‘श’
Ø मूर्धन्य ‘ष’
Ø दंत्य ‘स’
इनके प्रयोगों में होने वाली कठिनाइयों को कुछ इस प्रकार दूर करने की कोशिश की
जा सकती है।
मूर्धन्य ‘ष’
‘ष’ से केवल मूलतः 11 शब्दों की ही शुरुआत होती है।
1.
षंड
2.
षट्
3.
षडंग
4.
षड्
5.
षष्टि
6.
षष्ठ
7.
षष्ठी
8.
षड्यंत्र
9.
षाण्मासिक
10.
षोडश
11.
षोडशी
ये संस्कृत के शब्द हैं। इसमें अनुनासिक (चंद्रबिंदु) का प्रयोग नहीं होता है।
शब्द के प्रारंभ ‘ष’ में आए तो उसमें इ, ई, ए, ऐ, औ, उ, ऊ की मात्रा का प्रयोग कभी भी नहीं होगा।‘ष्’ से कभी भी कोई भी शब्द का गठन नहीं होता है।
ऋ के बाद जब ‘ष’की ध्वनि गुंजित
होती है तो उसमें ‘ष’ का ही अधिकतर
प्रयोग होगा जैसे-
कृष्ण, कृषि, ऋषि, सृष्टि
( अपवाद कृश)
अगर ‘ष’ और ‘श’ दोनों का प्रयोग एक ही शब्द में हो तो पहले ‘श’ फिर ‘ष’ का प्रयोग होता है जैसे –
विशेष, आशीष, शीर्षक
ये संस्कृत (तत्सम) के शब्द ही होंगे।
अगर ‘श’ और ‘स’ दोनों का प्रयोग एक ही शब्द में हो तो पहले ‘श’ फिर ‘स’ का प्रयोग होता है जैसे –
प्रशंसा, नृशंस, शासक
सम् उपसर्ग से बनने वाले शब्द स से ही शुरू होंगे, जैसे- संविधान, संगीत, संजय इत्यादि।
‘कि’ और ‘की’ का प्रयोग
Ø तुमने कहा था कि कल
तुम मेरे लिए हिंदी की नई किताब लाओगे।
Ø रमेश की बातें सुनकर मुझे लगा कि
वह बहुत झूठ बोल रहा है।
Ø रोहन की माँ ने
बताया कि अजंता की गुफाएँ लगभग एक हज़ार छह सौ साल पुरानी है।
Ø सुधीर की बहन
चाय पीती है कि कॉफी?
(सुधीर की बहन चाय पीती है या कॉफी?)
‘कि’ का प्रयोग
‘कि’ एक संयोजक (Conjunction) अव्यय शब्द है जो मुख्य
उपवाक्य (Principal Clause) को आश्रित उपवाक्य (Subordinate Clause) के साथ जोड़ने
का कार्य करता है।
यह पहले उपवाक्य के अंत में और दूसरे
उपवाक्य के प्रारंभ में लगता है, जैसे -
“शिक्षक ने अनिल से कहा कि एक कविता सुनाओ।”
‘कि’ का प्रयोग विभाजन के लिए ‘या’ के स्थान पर भी होता है, जैसे
“तुम विष्णु मंदिर जाते हो कि शिव मंदिर।”
ध्यातव्य ‘कि’ का प्रयोग क्रिया (Verb) के बाद ही होता है, जैसे ऊपर दिए गए उदाहरणों में क्रिया ‘कहा था’, ‘मुझे लगा’, ‘बताया’, ‘पीती है कि’ के बाद है।
‘की’ का प्रयोग
संज्ञा
या सर्वनाम शब्द के बाद आने वाले अन्य संज्ञा शब्द के बीच ‘की’ (संबंधबोधक कारक चिह्न) का प्रयोग होता है। यह दोनों शब्दों को जोड़ने और उनके बीच संबंध
स्थापित करने का कार्य करता है जैसे,
“गीता की किताब खो गई।”
“गीता की किताब खो गई।”
(यहाँ गीता और किताब
दोनों संज्ञा शब्द हैं।)
“उसकी बात मानना मूर्खता है।”
(यहाँ उस सर्वनाम और बात संज्ञा शब्द है जिसे ‘की’ द्वारा जोड़ा
गया है।)
ध्यातव्य ‘की’ के बाद स्त्रीलिंग शब्द आता है। ऊपर दिए गए उदाहरणों में ‘किताब’
और ‘बात’ दोनों स्त्रीलिंग
शब्द हैं।
याद रखने की बात:-
ü क्रिया (Verb) के बाद ‘कि’ का प्रयोग
किया जाता
है ‘की’ नहीं ।
ü ‘की’ के
बाद स्त्रीलिंग शब्द का प्रयोग होता है।
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